Clash of two departments: सरकारी विभागों में जब पॉवर और दबदबा दिखाने की बात आती है तो कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। उनके दांव-पेंच फिर देखते ही बनते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई शहर में भी देखने को मिल रहा है। यहां बिजली कंपनी और नगर पालिका परिषद में चल रही रस्साकशी का नजारा लोगों में इन दिनों दिलचस्पी और उत्सुकता का केंद्र बना है।
इसकी शुरूआत बुधवार को हुई। बिजली कंपनी का नगर पालिका पर 48 लाख रुपए का बिल बकाया होने से बिजली कंपनी ने नगर पालिका के बिजली कनेक्शन काट दिए थे। जिसके बाद नगर पालिका का पूरा अमला बिजली कंपनी के कार्यालय पर जेसीबी लेकर जा धमका। नपा अमले ने बिजली कंपनी की बाउंड्रीवॉल बुलडोजर के माध्यम से तोड़ना शुरू कर दिया। यहां नपाध्यक्ष वर्षा गड़ेकर की मौजूदगी में नपा ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की।
एसडीएम ने मौके पर पहुंच कराई दोनों में सुलह
सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीएम अनिता पटेल सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और समझाइश देकर किसी तरह सुलह करवाई। नगर पालिका के प्रभारी सीएमओ जीआर देशमुख ने बताया कि आज ही 10 लाख रुपए जमा किए गए हैं। उसके बावजूद भी बिना सूचना के बिजली काट दी गई। बिजली कंपनी द्वारा नगर पालिका के कार्यालय सहित स्ट्रीट लाइट और वाटर पंप की बिजली काट दी थी।
अब नपा ने कही नोटिस जारी करने की बात
एसडीएम द्वारा कराई गई सुलह के बाद बिजली कंपनी ने नगर पालिका के कनेक्शन जोड़ दिए हैं। वहीं नगर पालिका को 2 दिन में बिजली बिल जमा करने का अल्टीमेटम दिया गया है। अब नगर पालिका ने इस पूरे मामले में बिजली कंपनी को भी नोटिस जारी करने की बात कही है।
बगैर स्वीकृति लिए भवन बनाने के आरोप
नगर पालिका के प्रभारी सीएमओ जीआर देशमुख ने बताया कि बिजली कंपनी द्वारा नगर में जितने भी भवन निर्माण किए गए हैं, उनकी स्वीकृति नगर पालिका से नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण स्वीकृति की मांग नगर पालिका द्वारा बिजली कंपनी से की जा रही है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 187 के तहत बिजली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर उक्त कार्रवाई होगी।
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क्या है इस अधिनियम की धारा 187
- अनुज्ञा की आवश्यकता: धारा 187 के अनुसार, नगरपालिका क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति बिना उचित अनुज्ञा के भवन निर्माण, परिवर्तन या विस्तार नहीं कर सकता है।
- अवैध निर्माण: यदि कोई व्यक्ति बिना अनुज्ञा के निर्माण करता है या अनुज्ञा के नियमों का उल्लंघन करता है, तो वह अवैध निर्माण करता है.
- कार्रवाई: नगर पालिका ऐसे अवैध निर्माण को हटाने या संशोधित करने के लिए कार्रवाई कर सकती है, और संबंधित व्यक्ति को खर्च वहन करना होगा.
- दंड: धारा 223 के अनुसार, जो कोई भी धारा 187 के उपबंधों का उल्लंघन करता है, उसे छह माह तक का कारावास या 5000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है, साथ ही उल्लंघन जारी रहने पर प्रतिदिन 100 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी हो सकता है।