अंकित सूर्यवंशी, आमला (Amla News Today)। आमला के सिविल अस्पताल में बरती गई लापरवाही से गर्भवती महिला को समय पर इलाज नहीं मिला और नवजात शिशु की मौत हो गई। इस मामले की महिला के पति राहुल रेकवार ने सीएमएचओ बैतूल से शिकायत की है। इस शिकायत में उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
राहुल रेकवार ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि सिविल अस्पताल की मेटरनिटी और पोस्टमार्टम विंग का चार्ज बीएमओ डॉ. अशोक नरवरे के पास है, लेकिन वह ड्यूटी पर रात को अस्पताल में मौजूद नहीं रहते। बीएमओ अपने घर पर सोते हैं और अस्पताल की जिम्मेदारी नर्स के हवाले कर देते हैं। यही कारण है कि प्रसूता रातभर अस्पताल में दर्द से कराहती रही, पर किसी ने देखभाल नहीं की।
बार-बार बुलाने पर भी नहीं आए
अपनी शिकायत में राहुल रेकवार ने स्टॉफ नर्स किरण सराटकर पर परिजनों के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगाया गया है। राहुल ने कहा कि 22 अगस्त की रात से 23 अगस्त सुबह 8 बजे तक का सीसीटीवी फुटेज चेक किया जाए, जिसमें साफ होगा कि बार-बार बुलाने पर भी नर्स और बीएमओ मौके पर नहीं पहुंचे।

उच्च स्तरीय जांच की उठाई मांग
पीड़ित परिवार ने उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कठोर और दंडनीय कार्रवाई करने की अपील की है। यह मामला अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों के बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रसूताओं के लिए बने इस अस्पताल में इलाज मिलेगा या सिर्फ उन्हें सिर्फ रेफर किया जाता रहेगा और अभद्रता होती रहेगी।
बैरंग लौटा दिया था अस्पताल से
शिकायत के अनुसार राहुल की पत्नी वर्षा रेकवार (उम्र 28 वर्ष) को 22 अगस्त की दोपहर दो बजे प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने कह दिया कि डिलीवरी नार्मल होगी और दो दिन बाद लाना। शाम 8 बजे तक दर्द और तेज हुआ तो परिजन फिर अस्पताल लेकर पहुंचे।
देखने तक की नहीं उठाई गई जहमत
इस बार महिला को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन रातभर न तो बीएमओ आए और न ही स्टॉफ नर्स ने कोई जांच की। परिजनों ने बताया कि बहन और भाभी छह बार नर्स को बुलाने गईं, लेकिन उसने आकर देखने तक की जहमत नहीं उठाई। वहीं बीएमओ अशोक नरवरे अपने घर पर ही सोए रहे और अस्पताल की पूरी जिम्मेदारी स्टॉफ नर्स के भरोसे छोड़ दी। पीड़िता पूरी रात प्रसव पीड़ा से तड़पती रही और इलाज न मिलने से परिजनों को सुबह गंभीर स्थिति में बैतूल रेफर कराना पड़ा।
इलाज नहीं मिलने से बनी यह स्थिति
शिकायत में बताया गया कि वर्षा रेकवार पूरी तरह स्वस्थ थीं और गर्भावस्था में नियमित चेकअप भी डॉक्टरों से कराते रहे थे। लेकिन, समय पर इलाज और देखभाल नहीं मिलने के कारण बच्चे की जान चली गई। सुबह करीब 7.40 बजे बिना बीएमओ द्वारा जांच किए ही स्टॉफ नर्स ने रेफर पर्ची बना दी और बैतूल भेज दिया। एम्बुलेंस का खर्चा भी परिवार से तीन हजार रुपये वसूला गया।
तत्काल ऑपरेशन कर बचाई जान
परिवारजन महिला को निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तत्काल ऑपरेशन कर उसकी जान तो बचा ली, लेकिन नवजात को नहीं बचाया जा सका। परिजनों का कहना है कि अगर अस्पताल में समय पर जांच होती और डॉक्टर-नर्स ने जिम्मेदारी निभाई होती तो बच्चे की मौत नहीं होती।
फुटेज की जांच की मांग
परिजन ने सीसीटीवी फुटेज जांच की भी मांग की है, जिसमें साफ दिखेगा कि बार-बार बुलाने पर भी नर्स और बीएमओ देखने तक नहीं आए। राहुल रेकवार का कहना है कि यह मामला केवल एक परिवार का नहीं है, बल्कि कई गर्भवती महिलाओं के साथ आए दिन अभद्रता और लापरवाही होती है। खासतौर से रात की ड्यूटी में अस्पताल पूरी तरह भगवान भरोसे चल रहा है।
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