Betul News Today: खेत में धान लगी, पोर्टल पर चढ़ा दिया गन्ना; अवैध वसूली का आरोप

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Betul News Today: बैतूल जिले में किसानों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। खेत में मेहनत करने के बाद जब किसान अपनी फसल का रिकॉर्ड सरकारी पोर्टल पर दर्ज कराने जाते हैं, तो वहां भी उन्हें धोखाधड़ी और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार भले ही यह दावा करती हो कि अब किसानों की सुविधाओं के लिए पूरी व्यवस्था ऑनलाइन और पारदर्शी हो गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बिल्कुल अलग दिखाई दे रहे हैं। जिले के कुम्हारटेक गांव का ताजा मामला इस बात की गवाही देता है कि किसान की वास्तविक फसल को नजरअंदाज कर पोर्टल पर गलत फसल दर्ज कर दी गई और इसके बदले में पैसे की मांग भी की गई।

ग्राम किलाखण्डारा निवासी किसान पंकज राठौर ने इस मामले की शिकायत तहसीलदार बैतूल से की है। उन्होंने बताया कि उनकी कृषि भूमि खसरा नंबर 38/2, रकबा 1 हेक्टेयर ग्राम कुम्हारटेक में स्थित है। इस भूमि पर उन्होंने इस साल धान की फसल बोई थी।

जब गिरदावरी का काम शुरू हुआ और पोर्टल पर फसल दर्ज करने की प्रक्रिया आई तो पटवारी द्वारा नियुक्त लोगों ने उनसे पैसे मांगे। पंकज राठौर का कहना है कि जो किसान रुपए दे रहे हैं, उनके खेत में फसल चाहे जो भी हो, उसे रिकॉर्ड में धान के रूप में चढ़ा दिया जा रहा है। लेकिन जब उन्होंने खुद धान बोई थी और पैसे देने से मना किया तो उनके खेत में गन्ना दर्ज कर दिया गया।

सर्वेयर बोला- पटवारी तक जाता पैसा

किसान ने बताया कि जब उन्होंने इस संबंध में मौके पर मौजूद सर्वेयर से सवाल किया तो उसने साफ-साफ कह दिया कि यह पैसा पटवारी तक जाता है। इसीलिए उनसे भी पैसे मांगे गए। पंकज राठौर ने कहा कि किसान कभी भी वैधानिक पोर्टल शुल्क देने से नहीं हिचकता, लेकिन जब अवैध रूप से अतिरिक्त वसूली की जाती है, तो इसका विरोध करना जरूरी हो जाता है।

निष्पक्ष जाँच किये जाने की मांग

उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उच्च अधिकारियों से शिकायत करेंगे। उनका कहना है कि यह केवल उनकी ही समस्या नहीं है बल्कि आसपास के कई अन्य किसानों को भी इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

भविष्य में होंगे यह नुकसान

किसान पंकज राठौर का कहना है कि जब खेत में वास्तविकता में धान खड़ी है तो पोर्टल पर गन्ना दर्ज होना न केवल अन्याय है, बल्कि भविष्य में मिलने वाले मुआवजे और बीमा दावों के अधिकार को भी प्रभावित कर सकता है। यदि प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से नुकसान होता है और रिकॉर्ड में फसल गलत दर्ज है, तो किसान को मुआवजे से वंचित होना पड़ेगा। यही स्थिति बीमा क्लेम या सरकारी योजनाओं के लाभ लेने में भी सामने आएगी।

बिना पैसे नहीं चढ़ती सही फसल

गांव के अन्य किसानों का भी कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब गिरदावरी में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई हो। पहले भी कई बार किसानों ने आरोप लगाया है कि पटवारी और उनके सहायकों द्वारा गलत जानकारी दर्ज की जाती है और पैसे लिए बिना फसल सही तरीके से नहीं चढ़ाई जाती। ऐसे मामलों में किसान अक्सर मजबूरी में चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कहीं भविष्य में और ज्यादा दिक्कत न खड़ी हो जाए।

लेकिन इस बार किसान पंकज राठौर ने खुलकर सामने आकर आवाज उठाई है। उन्होंने साफ तौर पर प्रशासन से मांग की है कि यदि किसान के खेत में धान बोया गया है तो पोर्टल पर भी वही फसल दिखाई देनी चाहिए। यह किसानों का हक है और किसी को भी इसमें हेरफेर करने का अधिकार नहीं है।

काटने पड़ेंगे दफ्तरों के चक्कर

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियां किसानों के लिए लंबे समय तक नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। अगर सरकारी रिकॉर्ड और खेत की वास्तविक स्थिति मेल नहीं खाते तो भविष्य में मिलने वाले लाभ, सब्सिडी, बीमा राशि या मुआवजे में अड़चनें आ सकती हैं। ऐसे में किसान की मेहनत पर पानी फिर जाएगा और उसे अपने हक के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे।

किसान बोले- कड़ी कार्रवाई हो

इस घटना ने किसानों के बीच यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब सरकार डिजिटल इंडिया और पारदर्शिता की बात कर रही है, तो फिर जमीन स्तर पर इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार क्यों हो रहा है। किसानों ने मांग की है कि इस तरह की शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसान ऐसी समस्याओं से बच सकें।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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