APAAR ID: इन दिनों स्कूलों में विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने का काम किया जा रहा है। बैतूल जिले में संचालित कई ऐसे निजी स्कूल हैं जो अपार आईडी बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अब ऐसे निजी स्कूलों की मान्यता को निलंबित करने की तैयारी की जा रही है। जिन निजी स्कूलों ने बहुत कम छात्रों की अपार आईडी बनाई है, उन स्कूलों को शिक्षा विभाग की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। स्कूल संचालकों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो उनकी मान्यता निलंबित की जा सकती है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कई महीनों से स्कूलों में छात्र-छात्राओं की अपार आईडी बनाने का काम चल रहा है। जिले में ऐसे भी स्कूल हैं जिन्होंने बहुत कम विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाई है। यह अपार आईडी निजी स्कूलों को भी बनाना है। कई ऐसे निजी स्कूल हैं जिन्होंने बहुत कम विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाई हैं। ऐसे स्कूलों को शिक्षा विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया हैं और जवाब मांगा गया है।
शासन के निर्देशों का करना होगा पालन
जारी किये गए नोटिस में कहा गया है कि संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो स्कूल की मान्यता निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी। शासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का हर हाल में पालन करना होगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग बैतूल के जिला योजना अधिकारी सुबोध शर्मा ने बताया कि अपार आईडी नहीं बनाने वाले कई निजी स्कूलों को नोटिस जारी किए हैं। संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उनकी मान्यता को निलंबित किया जाएगा।
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अपार आईडी से छात्रों को मिलेगी पहचान
अपार आईडी आधार नंबर की तरह बनाई जा रही है। विद्यार्थी बचपन से लेकर हायर एजुकेशन तक शैक्षणिक गतिविधियों का ब्यौरा दर्ज किया जाएगा। प्रत्येक विद्यार्थियों को आजीवन एक खास पहचान मिलेगी। अपार आईडी कार्ड में छात्र का नाम, जन्म तारीख, पता, फोटो, योग्यता प्रमाण-पत्र, कैरेक्टर सर्टिफिकेट सहित कई जानकारियां उपलब्ध होगी। कोई विद्यार्थी प्रतियोगिता में हिस्सा लेता हैं और अवार्ड मिलता है तो इसकी भी जानकारी अपार आईडी में मिलेगी।
विद्यार्थियों को 12 अंक का यूनिक कोड
अपार आईडी में विद्यार्थियों को 12 अंक का यूनिक कोड दिया जाएगा। जिसे अपार आईडी नाम दिया गया है। इस नंबर के सर्च करते ही विद्यार्थियों की सारी जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध हो जाएगी। अधिकारियों द्वारा स्कूलों को बार-बार अगाह किया जा रहा है कि वे हर हाल में अपार आईडी बनाने का काम पूरा करे, लेकिन कई स्कूल इसमें लापरवाही बरत रहे हैं। अब ऐसे स्कूलों पर गाज गिर सकती है।