Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail Link Project : भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को अब जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए जोखिम भरा सड़क मार्ग का सफर नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं विपरीत मौसम में कई-कई दिन तक मार्ग बंद होने से फंसे रहने को मजबूर होना पड़ेगा। नए साल से जम्मू-कश्मीर के हर पर्यटन स्थल तक हर मौसम में आसानी से ट्रेन से पहुंचा जा सकेगा। यह संभव इसलिए हो पाया है क्योंकि कश्मीर में उधमपुर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है। संभवत: जनवरी माह से इस पर ट्रेन चलना भी शुरू हो जाएंगी।
अभी भारत या विदेश के पर्यटक ट्रेन के जरिए केवल कटरा या उधमपुर तक ही जा पाते हैं। कश्मीर के ज्यादातर पर्यटन स्थल जिस हिस्से में हैं, वहां तक फिलहाल रेल कनेक्टिविटी नहीं है। इसलिए उधमपुर से सड़क मार्ग से सफर करना होता है। यह रास्ता बेहद दुर्गम और जोखिम भरा है। इससे जहां सफर में काफी समय लगता है वहीं कई बार हादसे भी हो जाते हैं। यही नहीं मौसम खराब होने पर कई-कई दिनों तक आवाजाही बंद भी रहती है।
ऐसा नहीं है कि उस हिस्से में रेल मार्ग नहीं है, बल्कि उस हिस्से में भी रेल मार्ग है। रेलवे के सेवानिवृत्त परिवहन निरीक्षक अशोक कटारे बताते हैं कि उस हिस्से में बारामूला, बड़गाम, श्रीनगर, अनंतनाग, बनिहाल, संगलदान आदि में 161 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है और उस सेक्शन में ट्रेनें चल भी रही हैं, लेकिन बनिहाल से कटरा तक का 111 किलोमीटर का हिस्सा लिंक नहीं था। इस रूट की सबसे बड़ी बाधा टी-33 टनल थी। इसी के चलते अभी ट्रेन से सीधे श्रीनगर या उस हिस्से के अन्य क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाते थे।
इस प्रोजेक्ट की अब यह है स्थिति
अब उधमपुर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट पूरी तरह तैयार हो गया है। हाल ही में मौका मुआयना करने के बाद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी थी। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर अंतिम ट्रैक का काम पूरा हो गया है। श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ की तलहटी में स्थित और कटरा को रियासी से जोड़ने वाली 3.2 किमी लंबी सुरंग टी-33 के लिए गिट्टी-रहित ट्रैक का काम भी सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।
इसी मार्ग पर है दुनिया का सबसे ऊंचा पुल
इससे पहले फरवरी 2024 में सरकार ने 48.1 किलोमीटर लंबे बनिहाल-खारी-सुंबर-संगलदान सेक्शन को खोल दिया था। इसमें खारी-सुंबर खंड के बीच पड़ने वाली भारत की सबसे लंबी सुरंग भी शामिल थी। इससे बारामूला से बनिहाल होते हुए संगलदान तक ट्रेनें चल सकेंगी। इस इस पूरे मार्ग में कई पुल और सुरंगें शामिल हैं। रेलवे लाइन में लगभग 750 पुल हैं और यह 100 किलोमीटर से अधिक सुरंगों से होकर गुजरती है, जिनमें से सबसे लंबी 11,215 मीटर है। इसी पर चिनाब नदी पर बना विशाल पुल भी है जो कि अपनी तरह का सबसे ऊंचा रेलवे ढांचा है, और एफिल टॉवर के शीर्ष से भी 35 मीटर (115 फीट) ऊंचा है।
दिल्ली से चलेगी वंदे भारत स्लीपर ट्रेन
इस रूट पर पहली ट्रेन वंदे भारत स्लीपर ट्रेन चलाई जाएगी। यह ट्रेन दिल्ली से चलेगी। संभावना जताई जा रही है कि वंदे भारत ट्रेन 26 जनवरी को इतिहास रचेगी और दिल्ली से सीधे कश्मीर पहुँचने वाली पहली ट्रेन बन जाएगी। इसके बाद जम्मू और कश्मीर के लोगों को आखिरकार अगले महीने देश के बाकी हिस्सों के साथ सभी मौसम में ट्रेन कनेक्टिविटी मिल जाएगी। वंदे भारत के अलावा अन्य कई ट्रेनों को भी एक्सटेंशन देकर आगे तक चलाए जाने की संभावना है। इससे देश भर के लोगों का यहां पहुंचना भी आसान हो जाएगा। यह प्रोजेक्ट कश्मीर के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम साबित होगा। इससे कश्मीर में पर्यटकों की तादाद में बेतहाशा बढ़ोतरी भी निश्चित रूप से होगी।