PMMSY : मछली किसानों और मछुआरों को इस योजना में मिलते हैं कई लाभ, आपने लिए कि नहीं?

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PMMSY : मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2020-21 से मात्स्यिकी क्षेत्र के समग्र विकास और छोटे पैमाने के पारंपरिक मछुआरों सहित मछुआरों के कल्याण के लिए 20050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ “प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना” (पीएमएमएसवाई) चला रहा है। यह योजना मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, पीएमएमएसवाई के माध्यम से पारंपरिक और छोटे पैमाने के मछुआरों, मत्स्य किसानों और मत्स्य श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के साथ-साथ उनकी सामाजिक, भौतिक और आर्थिक सुरक्षा और उनके पारंपरिक मत्स्यन और मात्स्यिकी से संबंधित गतिविधियों के संचालन पर जोर देती है।

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत पारंपरिक मछुआरों और मत्स्य किसानों सहित विभिन्न लाभार्थियों को मात्स्यिकी से संबंधित आजीविका गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान की जाती है जैसे नावों और जालों की खरीद, संचार/ट्रैकिंग उपकरण, समुद्री-सुरक्षा किट, मछुआरों को बीमा कवर, आधुनिक फिशिंग एक्यूपमेंटस के साथ डीप-सी फिशिंग वेसेल्स के अधिग्रहण के लिए सहायता, वैकल्पिक आजीविका गतिविधि जैसे सी वीड कल्चर, बाइवाल्व कल्चर, ओर्नामेंटल फिशरीज़, ओपन सी केज कल्चर आदि के लिए सहायता प्रदान की जाती है।

नई फिश कल्चर तकनीकों के लिए सहायता

इसके अलावा, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत पारंपरिक मछुआरों को नई फिश कल्चर तकनीकों जैसे री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लोक सिस्टम को अपनाने, प्रशिक्षण और कौशल विकास के साथ-साथ कोल्ड-चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और मार्केटिंग सुविधाओं के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है। पीएमएमएसवाई मत्स्यन गतिविधि पर प्रतिबंध/मंद अवधि के दौरान सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े पारंपरिक मछुआरों के परिवारों को आजीविका और पोषण संबंधी सहायता भी प्रदान करती है। मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विगत चार वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत छोटे मत्स्यन समुदायों, पारंपरिक मछुआरों, अन्य हितधारकों के विकास और आजीविका सहायता के लिए 1823.58 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश के साथ 4969.62 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

जलवायु अनुकूल समुद्री कृषि गतिविधियों को सपोर्ट

जलवायु अनुकूल जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत जलवायु अनुकूल समुद्री कृषि गतिविधियों को सपोर्ट किया जाता है जैसे सी वीड और बाइवाल्व कल्टीवेशन, ओपन सी केज कल्चर, आर्टिफ़िश्यल रीफ की स्थापना, सी रेंचिंग, इंटीग्रेटेड फिश फ़ार्मिंग को प्रोत्साहित करना इत्यादि ताकि मुख्य रूप से पारंपरिक और छोटे पैमाने के मछुआरों पर पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके और इस उद्देश्य के लिए 115.78 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

मत्स्यन गतिविधि पर प्रतिबंध की अवधि के दौरान सहायता

इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने पारंपरिक मछुआरों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए 769.64 करोड़ रुपए के व्यय पर पारंपरिक मछुआरों के लिए 480 डीप सी फिशिंग वेसेल्स के अधिग्रहण, निर्यात क्षमता के लिए 1338 मौजूदा फिशिंग वेसेल्स के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मत्स्यन गतिविधि पर प्रतिबंध की अवधि के दौरान पारंपरिक और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरों के परिवारों को सालाना 5.94 लाख आजीविका और पोषण सहायता के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई है, और 131.13 लाख मछुआरों को बीमा कवरेज भी दिया गया है।

समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व

भारत सरकार समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है। मछुआरों को संचार/ट्रैकिंग उपकरण और समुद्री सुरक्षा किट प्रदान करने के अलावा, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत फिशिंग वेसेल्स पर कुल 364 करोड़ रुपए की लागत से एक लाख ट्रांसपोंडर लगाने की एक विशेष परियोजना शुरू की गई है, जिसमें किसी भी आपात स्थिति के दौरान संक्षिप्त संदेश भेजने के लिए दोतरफा संचार की सुविधा है, जो चक्रवात या प्राकृतिक आपदाओं के मामले में अलर्ट प्रदान करता है और समुद्री सीमा पार करने के दौरान मछुआरों को सचेत भी करता है।

गांवों में आजीविका के अवसर और इन्फ्रास्ट्रक्चर

समुद्र तट के निकट स्थित तटीय गांवों में आजीविका के अवसर और आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए, 200 करोड़ रुपए के बजट आवंटन के साथ 100 तटीय गांवों को जलवायु अनुकूल तटीय मछुआरा गांवों (क्लाईमेट रेसिलिएन्ट कोस्टल फिशरमन विल्लेजस) के रूप में विकसित करने की परियोजना शुरू की गई है। इसके अलावा, पीएमएमएसवाई अन्य बातों के साथ-साथ मछुआरों और मत्स्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी बार्गेनिंग पावर बढ़ाने के लिए मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों/ फिश फार्मर प्रोड्यूसर ओरगेनाईज़ेशन्स (एफएफपीओ) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

चार वर्षों के दौरान पीएमएमएसवाई में इतना लाभ

विगत चार वर्षों के दौरान मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने पीएमएमएसवाई के तहत 544.85 करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत पर, कुल 2195 एफएफपीओ की स्थापना के लिए मंजूरी दी है जिसमें 2000 मौजूदा मात्स्यिकी सहकारिताओं को एफएफपीओ के रूप में गठित करने और 195 नए एफएफपीओ का गठन शामिल है। भारत सरकार ने 2018-19 से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा को मछुआरों और मत्स्य किसानों तक विस्तारित किया है ताकि उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और अब तक मछुआरों और मत्स्य किसानों को 2,121.29 करोड़ रुपए की ऋण राशि के साथ कुल 2.54 लाख केसीसी जारी किए गए हैं।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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