Indian Monalisa: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल में आयोजित दो दिवसीय इनवेस्टर्स समिट चल रहा है। इसके दूसरे दिन आज सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा स्टार्ट-अप समिट आधारित सत्र होगा। एमएसएमई आयुक्त दिलीप कुमार ने सत्र की जानकारी देते हुए बताया कि समिट सत्र में शामिल होने वाले देश-विदेश के मेहमानों को खास उपहार दिया जाएगा।
मेहमानों को मध्यप्रदेश शासन की ‘एक ज़िला-एक उत्पाद’ पहल अंतर्गत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा चयनित ज़िला ग्वालियर का गौड़क गुरकान वाली शलभंजिका की प्रतिकृति दी जाएगी। साथ ही शिवपुरी जिले का बदरवास जैकेट भी भेंट स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
आयुक्त दिलीप कुमार ने शालभंजिका के बारे में बताया कि 10वीं शताब्दी की यह पाषाण प्रतिमा विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी। देश भर में ख्यात यह शालभंजिका अनमोल है। मूर्ति में महिला के चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे इंडियन मोनालिसा कहा जाता है। साथ ही इसे वृक्ष देवी भी कहा गया है। यह खंडित प्रतिमा ग्वालियर की गुजरी महल संग्रहालय में संरक्षित है।
एमएसएमई आयुक्त ने बताया कि शलभंजिका की मंद-मंद मुस्कान समिट में पधारे सभी मेहमानों के दिल में एमपी की छवि को हमेशा के लिए अंकित कर देगी। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा की 15 सदस्यीय टीम 70 प्रतिकृतियों का निर्माण करने में जुटी हुई है। इसे ग्वालियर के रीजनल मार्ट एंड क्राफ्ट डिजाइन सेंटर में ग्वालियर मिंटस्टोन से बनाई जा रही है।
बदरवास जैकेट शिवपुरी जिले की समृद्ध कारीगरी और मेहनतकश लोगों की लगन का प्रतीक है। यह सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा है जो वर्षों से सैकड़ों परिवारों को रोजगार और आत्मनिर्भरता प्रदान कर रही है। बदरवास में जैकेट निर्माण की शुरुआत छोटे स्तर पर स्थानीय कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा की गई थी।
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धीरे-धीरे यह एक प्रमुख व्यवसाय बन गया, जिसमें आज 40 उद्यमी और 486 स्व-सहायता समूह सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। देशभर के व्यापारी इस जैकेट को सीधे बदरवास से खरीदना पसंद करते हैं। यह जैकेट बदरवास के मेहनतकश कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्पकला और उनके समर्पण का प्रतीक है। यह अनूठा उपहार मेहमानों को न केवल आपको सर्दियों में गर्माहट देगा, बल्कि बदरवास की समृद्ध विरासत से भी जोड़े रखेगा।