Prices of Pulses 2025: रोजमर्रा की बेहद जरुरी खाद्य सामग्री में से एक दाल भविष्य में महंगाई की चपेट में आ सकती है। इसके चलते यह आम लोगों की थाली से गायब हो सकती है। यह हालात इसलिए बन रहे हैं कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास जितनी दाल का स्टॉक होना चाहिए, उससे आधा भी नहीं बच पाया है। दूसरी ओर बाजार में दाम ज्यादा मिलने से सरकारी खरीदी भी पर्याप्त नहीं हो पा रही है।
दालों की कीमतें नियंत्रण में रखने और किसानों को वाजिब दाम दिलवाने के लिए सरकार ने तुअर, उड़द और मसूर की दालों का उत्पादन की मात्रा का शत प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की बात कही थी। हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुकाबले बाजार में इनके ज्यादा दाम मिल रहे हैं। यही वजह है कि सरकार को जितनी खरीदी करना है, उतनी खरीदी नहीं हो पा रही है।
बफर स्टॉक हो रहा लगातार कम
यही कारण है कि देश का दाल का बफर स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है। कीमतों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए बफर स्टॉक में कम से कम 35 लाख टन दाल होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में सरकार के बफर स्टॉक में मात्र 14.5 लाख टन दाल ही बची है। वर्ष 2021-22 में बफर स्टॉक में 30 लाख टन और 2022-23 में 28 लाख दाल मौजूद थी। जाहिर है वर्तमान में आधी मात्रा में भी दाल उपलब्ध नहीं है।
किस दाल की कितनी है उपलब्धता
देश भर में सबसे ज्यादा मांग तुअर दाल की रहती है। बफर स्टॉक में इसकी मात्रा केवल 35 हजार टन ही है। उड़द दाल 9 हजार टन और चना दाल 97 हजार टन ही उपलब्ध है जबकि यह क्रमश: 4 लाख टन और 10 लाख टन उपलब्ध होना चाहिए। वर्तमान में केवल मसूर दाल की स्थिति थोड़ी ठीक है जो कि मानक मात्रा 10 लाख टन की तुलना में 5 लाख टन से ज्यादा उपलब्ध है।
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कैसे कीमत नियंत्रित करता है बफर स्टॉक
बफर स्टॉक की महंगाई को कम या नियंत्रित करने में अहम भूमिका होती है। बाजार में जब मांग ज्यादा और पूर्ति कम हो जाती है और दाम बढ़ने लगते हैं तब सरकार द्वारा बफर स्टॉक से वह वस्तु बाजार में मुहैया करवा दी जाती है। इससे मांग और पूर्ति में संतुलन स्थापित हो जाता है और कीमत नियंत्रित हो जाती है।
देश में दाल की खपत और उत्पादन
देश में दाल की खपत हर साल करीब 300 लाख टन की है। लेकिन, यहां उतना उत्पादन नहीं हो पाता। इसलिए सरकार समर्थन मूल्य पर ज्यादा से ज्यादा खरीदी करके और आयात करके बफर स्टॉक को भरे रखने की कवायद करती है।
अब क्या कदम उठा रही है सरकार
बफर स्टॉक में दालों की कमी और दालों के दामों में भविष्य में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए सरकार कई कदम उठा रही है। जैसे-
- सरकार ने पीली मटर की दाल के आयात से बफर स्टॉक को भरने का प्रयास किया है। एक साल में 67 लाख टन से ज्यादा दाल का आयात किया गया है। इसमें से 31 लाख टन सिर्फ पीली मटर की दाल है। इसकी ड्यूटी मुक्त की अवधि भी बढ़ा दी है।
- सरकारी खरीदी एजेंसियों को दालों की खरीदी में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। लिहाजा, खरीदी एजेंसियों ने दाल उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में दाल खरीदना शुरू कर दिया है। तुअर दाल की 13.20 लाख टन खरीदी की जाना है।