उत्तर भारत के किसान फरवरी-मार्च में अपने गन्ने की फसल की कटाई कर चीनी मिलों को भेजते हैं। कटाई के बाद, खेत में बचे जड़ों से जो नई फसल उगती है, उसे रेटून गन्ना कहते हैं। रेटून गन्ने की खेती से किसानों को जुताई, बुवाई और समय की बचत होती है। भारत में हर साल लगभग 46% गन्ने के कुल क्षेत्रफल में रेटून गन्ने की खेती होती है। हालांकि, रेटून गन्ने की उपज बोआई गन्ने (बीज से बोए गए गन्ने) की तुलना में 20-25% कम होती है। इसका एक मुख्य कारण यह है कि गन्ने की कटाई के बाद प्रति हेक्टेयर लगभग 10-15 टन सूखी पत्तियाँ (ट्रैश) खेत में रह जाती हैं।
रेटून गन्ना खेती में किसानों की चुनौतियाँ
- उर्वरक प्रबंधन की समस्या: रेटून गन्ने के खेतों में उर्वरकों को सही ढंग से मिट्टी में स्थापित करने की तकनीक की कमी होती है। किसान अक्सर उर्वरकों को सतह पर ही डालते हैं, जिससे वे जड़ों तक नहीं पहुँच पाते और पौधों को उचित पोषण नहीं मिलता, जिससे उपज कम हो जाती है।
- कम टिलर और उनका सूखना: रेटून गन्ना मुख्य फसल की तुलना में 20-40% कम टिलर उत्पन्न करता है, और इनमें से एक बड़ा हिस्सा सूख जाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
- कमजोर जड़ें: रेटून गन्ने की पुरानी जड़ें उथली और कमजोर होती हैं, जिससे पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होता है और फसल की वृद्धि में बाधा आती है।
रेटून गन्ने की समस्याओं का समाधान
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, बारामती ने SORF मशीन विकसित की है, जो रेटून गन्ने की खेती में आने वाली कई समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। यह मशीन ट्रैश प्रबंधन, उर्वरक स्थापना, स्टंप प्रबंधन और जड़ सुधार में सहायक है।
गन्ने में अधिक टिलर और वृद्धि
यह मशीन कटाई के बाद खेत में बचे अनियमित स्टंप्स को सतह के पास समान रूप से काटने में सक्षम है। इससे स्वस्थ, मजबूत और अधिक गन्ने के टिलर विकसित होते हैं, जिससे उनकी मृत्यु दर कम होती है और उपज बढ़ती है। यह मशीन पुराने गन्ने की क्यारियों से मिट्टी को आंशिक रूप से काटकर दो क्यारियों के बीच की सूखी पत्तियों पर डालती है, जिससे सूखी पत्तियाँ जल्दी सड़ती हैं और बाद में यह मिट्टी गन्ने के टिलरों पर चढ़ाने में उपयोगी होती है, जो पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करती है और उपज बढ़ाती है।
कम उर्वरक और पानी से अधिक उपज
यह मशीन गन्ने की पुरानी जड़ों को किनारे से काटती है, जिससे नई जड़ों का विकास होता है। नई जड़ें पानी और पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में मदद करती हैं, जिससे टिलरों की संख्या बढ़ती है और फसल की उपज में वृद्धि होती है। SORF मशीन और उचित कृषि तकनीकों का उपयोग करके, गन्ने की उपज में 30% तक वृद्धि की जा सकती है। साथ ही, पानी उपयोग दक्षता में 39% और उर्वरक उपयोग दक्षता में 13% की वृद्धि होती है, जिससे पर्यावरणीय लाभ और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। इस प्रकार, इस तकनीक को अपनाकर किसान रेटून गन्ने की उपज में सुधार करके और कृषि उत्पादन लागत को कम करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।