किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक बैंकिंग सुविधा है, जिसके तहत किसानों को खेती और संबंधित गतिविधियों के लिए समय पर और सस्ते ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं। यह योजना 1998 में शुरू हुई थी और तब से किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय साधन बन गई है।
किसान क्रेडिट कार्ड का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि आवश्यकताओं के लिए समय पर ऋण प्रदान करना है, जिससे वे साहूकारों से ऊँची ब्याज दर पर कर्ज लेने से बच सकें। इसके तहत किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि उपकरण और अन्य आवश्यकताओं के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ
- कम ब्याज दर: अन्य ऋणों की तुलना में KCC पर ब्याज दर काफी कम होती है।
- आसान प्रक्रिया: किसानों को यह कार्ड आसानी से मिल जाता है और दस्तावेज़ी प्रक्रिया सरल होती है।
- लचीली भुगतान अवधि: किसान फसल कटाई के बाद ही ऋण चुका सकते हैं।
- बीमा सुविधा: KCC धारकों को फसल बीमा और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएँ भी मिलती हैं।
कौन ले सकता है KCC?
- सभी किसान, चाहे व्यक्तिगत हों या संयुक्त मालिक हों।
- बटाईदार, मौखिक पट्टेदार, स्वयं सहायता समूह (SHG) और संयुक्त देयता समूह (JLG)।
- मछुआरे और पशुपालक भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
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KCC की ऋण सीमा
वर्ष 2025 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने KCC की अधिकतम सीमा को ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया। यह सीमा किसान की भूमि, फसल पैटर्न और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर तय की जाती है।
KCC की विशेषताएँ
यह एक प्रकार की रिवॉल्विंग क्रेडिट है, जिसका मतलब है कि किसान जरूरत के अनुसार ऋण ले सकते हैं और चुका सकते हैं। इसकी वैधता 5 वर्ष होती है और वार्षिक समीक्षा के बाद इसे नवीनीकृत किया जा सकता है। KCC धारकों को RuPay डेबिट कार्ड मिलता है, जिससे वे एटीएम से नकद निकाल सकते हैं और खरीदारी कर सकते हैं।
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