MP procurement centers: एमपी में बड़ा फैसला: अब गोदामों में ही बनेंगे उपार्जन केंद्र, किसानों को मिलेगी राहत

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MP procurement centers: मध्यप्रदेश में खाद्यान्न उपार्जन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी एवं सरल बनाने के लिए राज्य सरकार ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। अब गोदामों में ही उपार्जन केंद्र स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे अनाज के परिवहन पर होने वाले खर्च में कटौती होगी और किसानों को भी राहत मिलेगी।

यह निर्णय स्टेट लेवल वर्कशॉप ऑन प्रोक्योरमेंट रिफार्म्स में लिया गया, जो कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में आयोजित हुई। इस वर्कशॉप में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, भारत सरकार के प्रतिनिधि और विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञ शामिल हुए।

गोदाम आधारित उपार्जन केंद्र

अपर मुख्य सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने कहा कि उपार्जन केंद्र गोदामों के भीतर बनाने से किसानों को अतिरिक्त लाभ होगा।

  • अनाज सीधे भंडारण तक पहुंच जाएगा।
  • परिवहन लागत घटेगी।
  • समय की बचत होगी।

रबी और खरीफ उपार्जन के आँकड़े

  • रबी सीजन 2024-25 में लगभग 9 लाख किसानों से 77 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई।
  • किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये सीधे खातों में ट्रांसफर किए गए।
  • राज्य सरकार ने गेहूं पर 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया।
  • खरीफ सीजन में 6.5 लाख किसानों से 43.5 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई।

किसानों को मिल रही यह सुविधाएं

किसानों के पंजीयन (Registration) में आधार नंबर जोड़ा गया। उपार्जन केंद्र से ही धान सीधे मिलर्स को दिया जा रहा है। उपार्जन केंद्रों पर किसानों को आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।

ई-केवायसी से पारदर्शिता

  • उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं की ई-केवायसी कराई गई।
  • ई-केवायसी प्रक्रिया से अपात्र लोगों को बाहर किया गया।
  • 5.70 लाख नए उपभोक्ताओं को सूची में शामिल किया गया।

जन पोषण केंद्र बनेंगी राशन दुकानें

प्रदेश में उचित मूल्य की दुकानों को जन पोषण केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। यह कार्य इंदौर से प्रारंभ हो चुका है। जल्द ही अन्य जिलों में भी विस्तार होगा।

मॉनिटरिंग सिस्टम हो रहा मजबूत

पीडीएस दुकानों में अनाज पहुंचाने वाले वाहनों की सघन मॉनिटरिंग की जा रही है। इससे खाद्यान्न वितरण में अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी।

भारत सरकार के प्रतिनिधियों के विचार

कार्यशाला में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार संजीव शंकर ने उपार्जन प्रक्रिया को और बेहतर बनाने पर जोर दिया। साथ ही उपस्थित अधिकारियों से **सुझाव देने की अपील की।

संयुक्त सचिव, पॉलिसी एवं एफसीआई सुश्री सी. शिखा ने बिलिंग प्रक्रिया की जानकारी दी। सब्सिडी की जानकारी प्रतिमाह भेजने पर जोर दिया। मध्यप्रदेश की गुड प्रैक्टिसेस की सराहना की।

इनके अलावा विशेष गढ़पाले (जनरल मैनेजर, एफसीआई) ने प्रोक्योरमेंट सेंटर सेल्फ असेसमेंट प्रोग्राम की जानकारी दी। कर्मवीर शर्मा (आयुक्त खाद्य) ने गेहूं और धान उपार्जन के लिए एक्शन प्लान प्रस्तुत किया और प्रक्रिया सरलीकरण पर सुझाव दिए। अनुराग वर्मा (एमडी, नागरिक आपूर्ति निगम) ने भंडारण और उपार्जन में आने वाली व्यावहारिक समस्याएं साझा कीं। वहीं अश्विनी गुप्ता ने फिजिकल वेरिफिकेशन प्रक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला।

गोदामों में उपार्जन से होंगे यह लाभ

  • किसानों को उपार्जन प्रक्रिया में समय और खर्च की बचत होगी।
  • बोनस और समय पर भुगतान से किसानों की आय में स्थिरता आएगी।
  • उपभोक्ताओं को ई-केवायसी आधारित पारदर्शी वितरण प्रणाली से शुद्ध और समय पर खाद्यान्न मिलेगा।
  • गोदामों में ही उपार्जन केंद्र से भंडारण और वितरण दोनों अधिक सुगम होंगे।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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