तुम्बा, जिसे वैज्ञानिक रूप से सिट्रुलस कोलोसिंथिस के नाम से जाना जाता है, एक रेगिस्तानी फल है जो अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसका स्वाद खीरे जैसा होता है और यह पानी से भरपूर होता है, जिससे यह रेगिस्तान में जानवरों की प्यास बुझाने में सहायक है।
मधुमेह नियंत्रण में तुम्बा की भूमिका
फार्मास्युटिकल एंड केमिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, तुम्बा फल मधुमेह नियंत्रण में प्रभावी भूमिका निभाता है। इसका सेवन शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है, जिससे रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित रहता है।
तुम्बा का पारंपरिक उपयोग
पारंपरिक चिकित्सा में, तुम्बा के फल, जड़, पत्ते और बीजों का उपयोग विभिन्न औषधियों में किया जाता है। तुम्बा को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह पीलिया, मानसिक तनाव और मूत्र संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी है।
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नाभि पर तुम्बा और सोंठ का लेप
सोशल मीडिया पर वैद्य जगदीश सुमन के अनुसार, मधुमेह नियंत्रण के लिए सूखी अदरक (सोंठ) और तुम्बा को समान मात्रा में मिलाकर पाउडर बनाएं। इस पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इसे नाभि पर लगाएं। इस लेप को 8 से 10 घंटे तक नाभि पर रखने से मधुमेह नियंत्रण में सहायता मिलती है।
अन्य औषधीय गुण
आयुर्वेदिक चिकित्सा में, तुम्बा का उपयोग जुलाब, गुल्म, पित्त, पेट के रोग, कफ, कुष्ठ और बुखार जैसी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। हालांकि, किसान अक्सर इसे बेकार समझकर खेतों से उखाड़ फेंकते हैं, लेकिन इसके औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए इसका सही उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।
(नोट : यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है; किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।)