Wheat Prices: मध्यप्रदेश के बैतूल में कृषि उपज मंडी बडोरा में गेहूं के दामों में लगातार गिरावट आ रही है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक महीने के भीतर मंडी में गेहूं के दाम करीब 700 रूपए कम हो गए है। गेहूं के लगातार गिर रहे दामों के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि दामों में गिरावट से उपज बेचने पर खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक फरवरी माह में कृषि उपज मंडी में गेहूं के दाम 3200 से 3300 रूपए प्रति क्विंटल थे। अब गेहूं के दाम गिरकर 2500 रूपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। गेहूं के दामों में एक महीने के भीतर लगभग 700 रूपए की कमी आई है। किसान को एक क्विंटल पर 700 रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन दिनों कृषि उपज मंडी में गेहूं की भी आवक शुरू हो गई है। गेहूं की बम्पर आवक हो रही है। किसानों को दाम कम मिलने से नाराजगी भी देखने को मिल रही है।
समर्थन मूल्य से कम हुए दाम
कृषि उपज मंडी में गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से भी कम हो गए हैं। सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं की उपज 2425 रूपए प्रति क्विंटल खरीद रही है और राज्य सरकार द्वारा 175 रूपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जाएगा। इस तरह से किसान से 2600 रूपए प्रति क्विंटल में गेहूं की उपज खरीदी जाएगी।
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अब पंजीयन कराने पर ध्यान
पहले मंडी में किसान सबसे ज्यादा गेहूं बेच रहे थे, लेकिन अब मंडी में दाम कम होने के बाद किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने में दिलचस्पी ले सकते हैं। समर्थन मूल्य में उपज बेचने के लिए अभी पंजीयन जारी है। इस बार पंजीयन अच्छे होने की उम्मीद भी है। समर्थन मूल्य में गेहंू खरीदी का कार्य 15 मार्च से शुरू हो चुका है।
स्टॉक लिमिट के कारण गिरे दाम
गेहूं के दाम कम होने को लेकर व्यपारियों का कहना है कि स्टॉक लिमिट होने से गेहूं के दाम कम हुए हैं। व्यापारी रक्कू शर्मा का कहना है कि गेहूं का स्टॉक करने में सरकार ने लिमिट लगा दी है। ऐसी स्थिति में व्यापारी अधिक गेहूं का स्टॉक नहीं कर सकता। इसका सीधा असर गेहूं के दाम पर पड़ा है। व्यापारी बताते है कि जब भी नई फसल आती है उस समय सरकार स्टॉक लिमिट लगाती है जिससे दामों में कमी आ जाती है।