Govt Buses In MP: मध्यप्रदेश में एक बार फिर जल्द ही सरकारी बसें दौड़ती नजर आएंगी। पहले चरण में सरकारी लोक परिवहन सेवा की बसें 500 रूटों पर चलाने की योजना है। केवल बड़े शहरों के बीच ही नहीं बल्कि प्रदेश सरकार गांवों तक बसों के जरिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी में है।
पहले मध्यप्रदेश में भी अन्य कई राज्यों की तरह सरकारी बसें चलती थी। उस समय मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के जरिये यह बसें चलाई जाती थी। तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2005 में घाटे का हवाला देकर इन बसों को बंद कर दिया था। उसके बाद से सड़क परिवहन सुविधा के लिए लोग केवल निजी बसों पर आश्रित हो गए हैं। मोहन सरकार द्वारा दोबारा सरकारी बसें चलाने की तैयारी पिछले काफी समय से की जा रही है। इसके लिए परिवहन नीति तैयार कर ली गई है।
अब फरवरी माह में बस चलाने वाली कंपनियों का गठन किया जाना है। बताया जाता है कि कुल 8 कंपनियां बनाई जाएंगी। इनमें एक मुख्य और बाकी संभाग स्तरीय कंपनियां होंगी। यह कंपनियां ही बसों के संचालन व्यवस्था की निगरानी करेंगी। इसके लिए बाकायदा निगरानी समितियां भी गठित की जाएंगी।
कुल इतने रूटों पर चलेंगी बसें
प्रदेश सरकार द्वारा कुल 1100 रूटों पर बस चलाई जाएंगी। पहले चरण में 500 रूटों पर बस चलाने की शुरूआत की जाएगी। इसके बाद रूट बढ़ाए जाएंगे। सरकार द्वारा प्रदेश से दूसरे राज्य, राजधानी से संभाग, जिला और तहसील मुख्यालय के रूटों पर बसें चलाई जाएंगी।
कनेक्टिंग बसों की रहेगी सुविधा
इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि कनेक्टिंग बसों की सुविधा भी हो ताकि एक बस से राजधानी से जिला मुख्यालय तक और फिर वहां से दूसरी बस से अपने गंतव्य तक लोग पहुंच सके। बड़ी ग्राम पंचायतों को भी बस सेवा के जरिए ब्लॉक, तहसील और जिला मुख्यालय से जोड़ा जाएगा।
कोई रूट नहीं रहेगा बस विहीन
प्रदेश सरकार की ऐसी तैयारी है कि कोई भी रूट बसों के बिना न रहे। जिन रूटों पर निजी ऑपरेटर बसें चलाने में रूचि नहीं लेंगे, वहां पर सरकार खुद बसें चलाएंगी। अभी निजी बस ऑपरेटर उन्हीं रूटों पर बसें चलाते हैं जहां पर उन्हें अच्छी आमदनी होती है। कम यात्री वाले रूटों पर एक भी बस नहीं चलती। ऐसे में ऐसे हजारों गांव हैं जिन्हें परिवहन सुविधा ही नहीं मिल पाती।
ऑनलाइन टिकट बुकिंग करा सकेंगे
लोक परिवहन सेवा के तहत प्रदेश में शुरू होने वाली बसों में हाईटेक सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी। इनमें जहां ऑनलाइन टिकट बुकिंग हो सकेंगी, वहीं मोबाइल एप, बस ट्रैकिंग जैसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल में लाए जाएंगे। यही नहीं स्मार्ट कार्ड भी जारी किए जाएंगे और ऑक्युपेंसी देखने की सुविधा भी ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगी।