MP Election News: मध्यप्रदेश में दो साल बाद वर्ष 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत अब नगर पालिका और परिषदों के अध्यक्षों का चुनाव पार्षद नहीं बल्कि सीधे जनता करेगी। कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव पर सहमति बन चुकी है। अब सरकार द्वारा कानून में संशोधन कर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बारे में बिल पेश करेगी।
कांग्रेस सरकार ने बदली थी प्रक्रिया
प्रदेश में पहले भी नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता ही करती थी। वर्ष 2015 तक यही व्यवस्था थी। इस बीच वर्ष 2018 में बनी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने नगर पालिका एक्ट में संशोधन कर अध्यक्षों को चुनने के अधिकार पार्षदों को प्रदान कर दिए।
बीजेपी सरकार में भी जारी रही व्यवस्था
हालांकि कांग्रेस की सरकार 15 महीने ही रही और गिर गई। हालांकि तब भी व्यवस्था वही बनी रही। वर्ष 2022 में जब नगरीय निकायों के चुनाव हुए तो तब भी मेयर को छोड़कर नगर पालिका और परिषद अध्यक्षों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से यानी पार्षदों के जरिए ही हुए। अब यह व्यवस्था बदलने जा रही है।
इसलिए किया जा रहा यह बदलाव
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार यह बड़ा बदलाव 2 प्रमुख कारणों से किया जा रहा है। पहला तो यह कि पार्षदों के पास अध्यक्षों को चुनने के साथ ही हटाने के भी अधिकार रहते हैं। दो साल का कार्यकाल होने के बाद पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।
दो साल होते ही नोटिस की तैयारी
वर्ष 2022 में चुनाव के बाद अध्यक्षों का कार्यकाल 2024 में पूरा हुआ। यह 2 साल पूरे होते ही प्रदेश में एक दर्जन से अधिक नगर पालिका और परिषदों के पार्षदों ने अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस देने की तैयारी कर ली थी। इनमें से अधिकांश में भाजपा के अध्यक्ष काबिज हैं। इसी के चलते यह कदम उठाया जा रहा है।
सरकार ने पहले उठाया यह कदम
हालांकि यह कदम उठाने से पहले भी सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए कुछ और पहल भी की थी। सरकार ने पहले इस कानून में परिवर्तन करते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को 2 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दी। अब चूंकि यह अवधि भी समाप्त हो चुकी है। इसलिए अब इसकी अवधि भी बढ़ाकर 4 साल करने की तैयारी है।
पार्टी भी चाहती है- सीधे जनता ही चुने
इसके अलावा यह बदलाव करने का एक दूसरा प्रमुख कारण यह है कि भाजपा संगठन भी यही चाहता है कि मेयर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता ही करें। संगठन की सोच है कि भले ही किसी नगरीय निकाय में पार्टी के पार्षद कम हो, पर यदि मेयर और अध्यक्ष पार्टी का होता है तो यह शहर के विकास की दृष्टि से ठीक रहता है। यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा जब बदलाव किया जा रहा था, तब भी भजपा ने इसका विरोध किया था।
❓ FAQs – MP Nagar Palika Direct Election News
Q1. मध्यप्रदेश में नगर पालिका और परिषद अध्यक्षों का चुनाव अब कैसे होगा?
👉 अब अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों द्वारा नहीं बल्कि सीधे जनता द्वारा किया जाएगा।
Q2. पहले नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव किस प्रणाली से होता था?
👉 वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार ने संशोधन कर यह अधिकार पार्षदों को दिया था, जिसके बाद से चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने लगे थे।
Q3. यह बदलाव कब से लागू होगा?
👉 वर्ष 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव से यह व्यवस्था लागू होगी।
Q4. सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है?
👉 पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाकर अध्यक्षों को हटाने की स्थिति से बचने और राजनीतिक स्थिरता के लिए यह बदलाव किया जा रहा है।
Q5. क्या पहले भी जनता सीधे नगर पालिका अध्यक्ष चुनती थी?
👉 हाँ, वर्ष 2015 तक जनता ही सीधे अध्यक्षों का चुनाव करती थी।
Q6. भाजपा संगठन इस बदलाव को क्यों समर्थन दे रहा है?
👉 पार्टी का मानना है कि यदि अध्यक्ष सीधे जनता द्वारा चुना जाए तो शहर का विकास और राजनीतिक स्थिरता बनी रहती है, भले ही पार्षदों की संख्या कम क्यों न हो।
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