Shrimp farming: मध्य प्रदेश शासन के मत्स्य विभाग भोपाल के आदेशानुसार बैतूल जिले के सापना में मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना के तहत 50 मत्स्य किसानों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण 11 से 13 मार्च तक सहायक संचालक मत्स्य उद्योग कमलेश खेर के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को झींगा पालन की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था। इस दौरान मत्स्य किसानों को जल प्रबंधन, आहार प्रबंधन, रोग नियंत्रण और विपणन संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के प्राणीशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. सुखदेव डोंगरे ने झींगा पालन की आधुनिक तकनीकों पर जानकारी दी और किसानों को पारंपरिक पद्धतियों के साथ आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. डोंगरे ने बताया कि यदि बैतूल के किसान झींगा पालन में नवाचार और आधुनिक तकनीकों का समावेश करेंगे तो उनकी आय में वृद्धि होगी और वे आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे। उन्होंने किसानों को तालाब की तैयारी, पानी की गुणवत्ता का प्रबंधन, छिंगा बीज चयन, पोषण प्रबंधन और बीमारियों से बचाव की तकनीकों पर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया।
बायोफ्लाक तकनीक को समझाया
प्रशिक्षण में बायोफ्लाक तकनीक को भी समझाया गया, जिससे जल में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है और झींगा का बेहतर विकास होता है। इस तकनीक से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। प्रशिक्षण में भाग लेने वाले मत्स्य किसानों में माधुराव नानकर, हिंगलाल नानकर, धुनीलाल, मोहन नानकर, पिंटू डोमने सहित अन्य किसानों ने छिंगा पालन को अत्यंत लाभकारी बताते हुए इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना।
सहायक संचालक कमलेश खेर ने बताया कि सरकार का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और झींगा पालन के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण शिविर निरंतर आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें और प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा मिले।
सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी
प्रशिक्षण में मत्स्य विभाग के अधिकारी चेतन भावसार, रितेश चौधरी और कुंवर पाल ने झींगा पालन के लिए सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और तकनीकी सहायता की जानकारी दी, जिससे किसानों को विशेष लाभ मिलेगा। इस शिविर में महाविद्यालय के विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों अक्षय मालवी, अंजलि नागोरे, आयुष नागोरे, इस्तियाक अली, माधुरी गोहे आदि ने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इस पहल से किसानों की आय में वृद्धि होगी, प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय बाजारों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाते हैं तो उन्हें झींगा पालन में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अवसर मिल सकते हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।