Web GIS 2.0 portal: मध्यप्रदेश के पटवारी ऑनलाइन वेब जीआईएस 2.0 पोर्टल से खासे खफा हैं। उनकी मांग के बावजूद पोर्टल की खामियों को दुरूस्त नहीं किया गया है। यही वजह है कि पटवारियों ने अब एक सितंबर से इस पोर्टल का ही बहिष्कार किए जाने की चेतावनी दे दी है। उन्होंने इस संबंध में सोमवार को कलेक्टर को प्रमुख सचिव (राजस्व) को संबोधित ज्ञापन सौंपा है।
मध्यप्रदेश पटवारी संघ बैतूल के तत्वावधान में सौंपे ज्ञापन में ऑनलाइन वेबजीआईएस 2.0 पोर्टल पर कार्य संचालन में आ रही कठिनाइयों और असुविधाओं को लेकर आ रही दिक्कतों का हवाला दिया गया है। संघ का कहना है कि यह पोर्टल अभी पूरी तरह से सुचारू नहीं है, जिसके कारण पटवारियों को भूमि अभिलेखों और किसानों के कार्यों में गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है मामला
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वेब जीआईएस 2.0 पोर्टल लागू किया गया है। इस पोर्टल का उद्देश्य किसानों को आधुनिक और डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराना था। भूमि अभिलेखों की पारदर्शिता और सटीकता के साथ ही पटवारियों के कार्यभार को व्यवस्थित करने के लिए इसे शुरू किया गया।
किसानों-पटवारियों के लिए सिरदर्द
संघ का आरोप है कि पोर्टल की तकनीकी खामियों और अव्यवस्थाओं के कारण यह किसानों और पटवारियों, दोनों के लिए सिरदर्द बन गया है। इस पोर्टल से जुड़ी प्रक्रियाओं में बार-बार तकनीकी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।
संघ की आपत्तियां
ज्ञापन में बताया गया है कि पोर्टल पूर्ण रूप से कार्यशील नहीं है, जिससे कई काम बीच में अटक जाते हैं। सर्वर बार-बार डाउन रहता है, जिसके चलते राजस्व कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते। किसानों को पटवारी हल्कों में बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। पोर्टल के जरिए जमीन संबंधी दस्तावेजों की प्रक्रिया जटिल हो गई है, जबकि पुराने सिस्टम में यह सरल थी।
आदेश पारित होने के बावजूद पोर्टल की तकनीकी खराबियों को दूर नहीं किया गया है। संघ का कहना है कि जब तक पोर्टल की सभी तकनीकी खामियों को दूर नहीं किया जाता, तब तक इसका उपयोग व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
ज्ञापन में की गई प्रमुख मांगें
मध्यप्रदेश पटवारी संघ बैतूल ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार और प्रशासन से निम्न मांगें रखी हैं—
- वेबजीआईएस 2.0 पोर्टल को पूरी तरह कार्यशील और त्रुटिरहित बनाया जाएं।
- तकनीकी खराबियों को तुरंत दूर किया जाएं ताकि किसानों और पटवारियों को परेशानी न हो।
- पोर्टल का संचालन पूरी तरह सुचारू होने तक इसे अनिवार्य न किया जाएं।
- पोर्टल की व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की जाएं।
- पटवारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए ताकि नए सिस्टम को सरलता से अपनाया जा सके।
पटवारियों ने जताई नाराजगी
ज्ञापन में साफ चेतावनी दी गई है कि यदि 1 सितंबर 2025 तक पोर्टल की खामियों को दूर नहीं किया गया और इसे सुचारू नहीं बनाया गया, तो प्रदेश भर के पटवारी ऑनलाइन पोर्टल पर कार्य करना बंद कर देंगे। ऐसे में केवल परंपरागत पद्धति से ही काम किया जाएगा। संघ का कहना है कि यदि समस्याओं का निराकरण जल्द नहीं हुआ, तो पटवारी किसी भी तरह की तकनीकी बाध्यता को मानने के लिए तैयार नहीं होंगे।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि बार-बार ध्यान दिलाने और आदेश जारी होने के बावजूद पोर्टल की समस्या जस की तस बनी हुई है। इससे यह आभास होता है कि या तो प्रशासन इस ओर गंभीर नहीं है, या फिर तकनीकी पक्ष को ठीक करने में पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
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लंबे समय तक अटके रहते काम
संघ ने आरोप लगाया है कि किसान और आम जनता इस लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं। ज़मीन से जुड़े छोटे-छोटे काम भी कई दिनों तक अटके रहते हैं, जिससे जनता नाराज़ है और पटवारियों की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।
पटवारियों की यह है दलील
पटवारी संघ का तर्क है कि वह तकनीकी बदलाव के खिलाफ नहीं है। लेकिन, जब तक नया सिस्टम पूरी तरह से भरोसेमंद और सुचारू न हो जाए, तब तक उस पर काम कराना व्यावहारिक नहीं है। किसानों को जमीन संबंधी कार्यों में देरी से सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। संघ का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि वह पहले तकनीकी पक्ष को मजबूत करे, फिर नए पोर्टल को अनिवार्य बनाएं।
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ज्ञापन सौंपते समय यह रहे मौजूद
पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष अवधेश वर्मा के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया। इस मौके पर जिला संरक्षक जितेंद्र पवार, प्रांतीय उपाध्यक्ष केशवकांत कोसे, प्रांतीय प्रवक्ता विवेक मालवी, अन्य पटवारी दिलीप करोचे, यशवंत वटेक, महेंद्र राठौर, प्रवीण मालवीय, अनिल उईके, मोहन धुर्वे, सुशील उपासे, सीरनलाल ककोड़िया, जगन्नाथ कुमरे, रमेश अंझरे, संजीव परते, दिगंबर बारस्कर, चंद्रशेखर देशमुख, कुलदीप चौहान, उदयराम धुर्वे भी मौजू रहे।
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