सरकार किसानों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण देकर मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर लगाए जा रहे हैं और किसानों को अनुदान पर मशरूम किट उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है।
अवधेश मेहता ने पेश की मिसाल
बिहार के किसान अवधेश मेहता ने पारंपरिक खेती छोड़कर मशरूम उत्पादन शुरू किया और आज वह अच्छी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि सही योजना, आधुनिक तकनीक और मेहनत से खेती को फायदेमंद बनाया जा सकता है।
12 हजार रुपये से की शुरुआत
अवधेश मेहता ने केवल 12 हजार रुपये की लागत से 200 बैग तैयार किए। प्रत्येक बैग की लागत मात्र 60 रुपये आई और इससे 1 से 1.5 किलो मशरूम की उपज हुई। वर्तमान में मशरूम की बाजार कीमत 250 रुपये प्रति किलो है, जिससे उन्हें 50 हजार रुपये तक की कमाई हो रही है।
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कम लागत में अधिक मुनाफा
अवधेश की सफलता से प्रेरित होकर 15 और किसानों ने भी मशरूम उत्पादन शुरू कर दिया है। पारंपरिक खेती की तुलना में मशरूम उत्पादन कम जगह और कम लागत में संभव है। यह किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है।
25-30 दिनों में तैयार होती है फसल
मशरूम उत्पादन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसे कोई भी किसान सीखकर अपना सकता है। ठंडी और नमी वाली जगह इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है। 25-30 दिनों में मशरूम की फसल तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को कम जोखिम में अधिक मुनाफा होता है।
90% अनुदान पर उपलब्ध है मशरूम किट
बिहार सरकार किसानों को 90% अनुदान पर मशरूम किट प्रदान कर रही है। इस योजना के तहत किसानों को 25 से 100 किट मिल सकती हैं, जिससे वे न्यूनतम लागत में मशरूम उत्पादन कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।