Tapti Mega Recharge Project: विश्व की सबसे बड़ी ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना का विरोध लगातार तेज हो रहा है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भारी विस्थापन होगा, जिसे लेकर हरदा भीलट (जिला अमरावती, महाराष्ट्र) में महापंचायत आयोजित की गई। इस महापंचायत में बैतूल, खंडवा और अमरावती जिलों के हजारों प्रभावित किसान, आदिवासी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। पंचायत में मौजूद लोगों ने परियोजना को अवैध करार देते हुए इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की।
बैठक में धारनी के पूर्व विधायक राजकुमार पटेल, बैतूल कांग्रेस जिला अध्यक्ष हेमंत वागद्रे, जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त सिंह कुमरे, स्वशासन ग्रामसभा बुद्धिजीवी हेमंत सरियाम, पूर्व विधायक प्रत्याशी राहुल चौहान, रामा ककोडिया, नीतू ककोडिया सहित 25 गांवों के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने एकमत से कहा कि ताप्ती मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट से हजारों परिवार बेघर हो जाएंगे, उनकी जमीन डूब क्षेत्र में आ जाएगी और प्राकृतिक संसाधनों पर उनका अधिकार खत्म हो जाएगा।
मनमानी के खिलाफ आदिवासियों का आक्रोश
पूर्व विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि साल 2015 में जब बांध परियोजना को लेकर हलचल शुरू हुई, तब 15 से 20 गांवों के लोगों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया। आदिवासी समुदाय का विरोध इतना प्रभावी था कि महाराष्ट्र सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि 2014 में जल संसाधन विभाग की टीम जब 15 ट्रक और 20 ट्रैक्टर लेकर जमीन का सर्वेक्षण करने पहुंची थी, तो स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए मशीनों को तोड़ दिया और अधिकारियों को भागने पर मजबूर कर दिया था।
जमीन हमारी जाएगी, फायदा दूसरे राज्यों को
हेमंत वागद्रे ने कहा कि इस परियोजना का सीधा फायदा राजस्थान और गुजरात को होगा, जबकि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। लाखों एकड़ उपजाऊ जमीन डूब जाएगी, जिससे हजारों परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। राहुल चौहान ने कहा कि सरकार एक तरफ आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति को बचाने की बात करती है, लेकिन दूसरी ओर उन्हें उनकी ही जमीन से बेदखल कर टाइगर रिजर्व, फैक्ट्री और बड़े-बड़े कारखानों के नाम पर विस्थापित किया जा रहा है।
आंदोलन की रणनीति तैयार, कानून का पालन कराने की मांग
जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त सिंह कुमरे ने कहा कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सरकारें इस परियोजना को लेकर तेजी से काम कर रही हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेगा। परियोजना के कारण लगभग 14 लाख एकड़ भूमि डूब क्षेत्र में आ जाएगी, जिससे हजारों किसान और आदिवासी प्रभावित होंगे। उन्होंने मांग की कि संविधान के तहत 5वीं अनुसूची और पेसा कानून का पालन किया जाए और आदिवासी भूमि को संरक्षित किया जाए। हेमंत सरियाम ने कहा कि इस परियोजना को रोकने के लिए संविधान के लचीले और कठोर प्रावधानों के तहत कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। अगर सरकार नहीं मानी तो बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा।
1980 से लटकी परियोजना, अब विरोध चरम पर
गौरतलब है कि 1980 में यह परियोजना प्रस्तावित की गई थी, लेकिन स्थानीय विरोध के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका। अब एक बार फिर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सरकारें इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे प्रभावित ग्रामीण और आदिवासी समुदाय में भारी आक्रोश है।
क्या है ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना
यह परियोजना महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में ताप्ती नदी पर बनाई जा रही है, जिसके तहत विश्व का सबसे बड़ा जल पुनर्भरण बांध बनाया जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर जल संग्रह किया जाएगा, बल्कि राजस्थान और गुजरात तक जल आपूर्ति करने की योजना है। लेकिन इस परियोजना से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में हजारों गांव जलमग्न हो जाएंगे, जिससे विस्थापन का संकट खड़ा होगा। महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि इस परियोजना को किसी भी हाल में नहीं बनने दिया जाएगा। आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और सरकार पर दबाव बनाया जाएगा कि इस परियोजना को तुरंत रद्द किया जाए।