Smart Meter Fact: इन दिनों मध्यप्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। लोग यह सोचकर राहत महसूस कर रहे हैं कि उन्हें इसकी कीमत तो देना नहीं है। लेकिन, ऐसा वास्तव में है नहीं। बिजली की वास्तविक खपत की जानकारी मिलती रहे और बिजली कंपनी को नुकसान न हो, इसके लिए यह मीटर लगाए जा रहे हैं। जाहिर है कि इसमें फायदा तो बिजली कंपनी का है, लेकिन इन मीटरों की कीमत उपभोक्ताओं से ही वसूल की जाएगी।
दरअसल, बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष वित्तीय वर्ष के लिए जो टैरिफ पिटीश्खन दायर की है, उसमें 754.32 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसकी वसूली स्मार्ट मीटर के रखरखाव, सुधार, निगरानी व डेटा भेजे के वार्षिक शुल्क के रूप में होगी। इस याचिका में स्मार्ट मीटर लगाने वाली एजेंसी को दी जाने वाली प्रारंभिक किस्त और 8 से 10 साल तक दी जाने वाले लीज शुल्क का जिक्र किया गया है।
इतनी राशि उपभोक्ताओं से वसूल
इस पूरे मामले को लेकर बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आयोग के समक्ष आपत्ति भी दर्ज कराई है। उनके मुताबिक एक स्मार्ट मीटर की प्रारंभिक किश्त 1770 रुपये 18 प्रतिशत जीएसटी सहित वसूल की जाएगी। इसके बाद कम से कम 90 मासिक किस्तों या साढ़े 7 साल में यह 14310 रुपये हो जाएंगे। इसी तरह रखरखाव, निगरानी व डेटा भेजने का शुल्क 1200 रुपये हर साल लिया जाएगा। यह कुल 9 हजार रुपये हो जाएंगे। इस तरह यह कुल राशि 25080 रुपये हो जाएगी।
ग्राहक को समझ तक नहीं आएगा
सबसे बड़ी बात यह है कि ग्राहक को पता भी नहीं चलेगा कि स्मार्ट मीटर की राशि उसी से वसूल की जा रही है। इसकी वजह यह है कि वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दर जितनी बढ़ेगी, उसमें स्मार्ट मीटर के हिस्से की राशि भी जोड़ी जा सकती है। यह राशि बिल के किसी भी कॉलम में अलग से नहीं दिखेगी। इससे उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चलेगा कि उन्हें किस तरह स्मार्ट मीटर की राशि वसूल हो रही है।
अभी तक लगाए जा चुके इतने मीटर
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी कार्यक्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग के 16 जिलों में अब तक 94 हजार 444 स्मार्ट मीटर स्थापित किए जा चुके हैं। शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली स्मार्ट मीटर परियोजना का पश्चिम क्षेत्र कंपनी गंभीरता से संचालन कर रही है। शुक्रवार तक कंपनी क्षेत्र में 10 लाख से ज्यादा अत्यानुनिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। इसी तरह पश्चिम क्षेत्र में महू, खरगोन, थांदला, झाबुआ पूर्ण स्मार्ट मीटरकृत हो चुके हैं। वहीं शाजापुर, रतलाम शहर में 90 प्रतिशत स्मार्ट मीटरीकरण होने को हैं। इंदौर महानगर में साढ़े चार लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
कंपनी ने यह गिनाए स्मार्ट मीटर के फायदे
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) योजना के स्मार्ट मीटर लगाने का काम किया जा रहा है। कंपनी के मुताबिक जहां स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, वहां समय पर बिलिंग और रीडिंग निर्धारित समय पर हो रही है। उससे सभी उपभोक्ता संतुष्ट हैं। स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं, सटीक बिलिंग और ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा।