Success Story: कहते हैं लक्ष्य तय हो और सच्ची लगन के साथ, कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता एक दिन कदम चूमती है। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के समीपी गांव मलकापुर के एक छोटे से किसान परिवार के 22 साल के बेटे अक्षय हजारे ने यही बात साबित की है। अक्षय का चयन असम राइफल में राइफल मैन के पद पर हुआ है।
अक्षय ने बताया कि वे प्रतियोगी परीक्षा की भर्ती के लिए 2 साल से सेल्फ तैयारी कर रहे रहे थे। असम राइफल की भर्ती के पहले एमपी पुलिस का भी पेपर उन्होंने दिया जिसका रिजल्ट आना अभी बाकी है। अक्षय ने घर में ही रहकर 6 से 8 घंटे की पढ़ाई के साथ-साथ यूट्यूब के वीडियो देख कर सुबह 4:30 बजे उठकर रनिंग और एक्सरसाइज करना भी शुरू किया। एमपी पुलिस के पेपर भी दिए और असम राइफल में भर्ती निकलने पर और कड़ी मेहनत की ठंड में पसीना बहाया। हौसला, जुनून और जीवन में कुछ कर गुजरने की आस में अपने सपने पूरा करने की होड़ में आज वह दिन आया जिसका उसे इंतजार था।
नागालैंड में होगी ट्रेनिंग
अक्षय ने बताया कि असम राइफल में भर्ती के लिए तीन स्टेज होती हैं, जिसमें पहले लिखित परीक्षा पार करनी होती है। इसके पश्चात फिजिकल और मेडिकल होता है। वे तीनों स्टेज क्वालीफाई करने में सफल रहे। इसके बाद उनको ट्रेनिंग के लिए चुना गया और अक्षय कल ट्रेनिंग के लिए नागालैंड रवाना हो रहे हैं। ट्रेनिंग पूरी होने पर अक्षय बॉर्डर पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात होंगे।
पिता करते हैं सब्जी का उत्पादन
राइफलमैन के पद पर चयनित हुए अक्षय ने बताया कि हाईस्कूल तक की पढ़ाई उन्होंने अपने ही गांव के सरकारी स्कूल शासकीय हाईस्कूल मलकापुर में की एवं हायर सेकेंडरी की पढ़ाई शासकीय स्कूल खडारा किला से पूर्ण करने के बाद बीएससी की पढ़ाई जयवंती हॉक्सर कॉलेज बैतूल से 2022 में पूर्ण हुई। अक्षय के पिता राकेश हजारे खेत में सब्जियों का उत्पादन करते हैं एवं माता निर्मला हजारे ग्रहणी होने के साथ-साथ खेतों के काम में बराबरी का हाथ बटाती है और सब्जी की फेरी का भी काम करती है। एक छोटे से किसान परिवार में जन्मे अक्षय भी पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के खेती के कार्य में हाथ बटाते हैं।
सपने उनके ही पूरे होते हैं जिनके हौसलों में जान होती है
मलकापुर के छोटे से किसान राकेश हजारे के पुत्र अक्षय ने बताया कि फौज में जाने का बचपन से ही उनका सपना था। कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार उनका यह सपना पूरा हुआ। इसका पूरा श्रेय माता-पिता और गुरु को देते हुए कहा कि यह उन्हीं के आशीर्वाद और सहयोग से संभव हो पाया है।
सफलता मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल
अक्षय के माता-पिता और 12वीं में अध्यनरत उसके छोटे भाई अश्वनी हजारे को जैसे ही उनके रिजल्ट और चयन की जानकारी हुई उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अक्षय की बुआ बिल्लो बाई हजारे ने बताया कि अक्षय ने हमेशा ही अपनी पढ़ाई पर फोकस किया उसे सफलता मिलने पर परिवार में खुशी का माहौल है। यह प्रेरणादायक कहानी यह दर्शाती है की कठिनाइयों के बावजूद कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन से बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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भारत का सबसे सम्मानित अर्धसैनिक बल
असम राइफल्स गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है। असम राइफल्स भारत का एक अर्धसैनिक बल है, जिसे 1835 में कछार लेवी के रूप में स्थापित किया गया था। बल का गठन भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में ब्रिटिश औपनिवेशिक हितों की रक्षा के लिए किया गया था। असम राइफल्स भारत में सबसे सम्मानित और अच्छी तरह से प्रशिक्षित अर्धसैनिक बलों में से एक के रूप में विकसित हुई है।
असम राइफल्स मुख्य रूप से भारत-म्यांमार सीमा पर एक जिम्मेदार अर्धसैनिक बल है जो वीआईपी सुरक्षा, आपदा राहत अभियान, सीमा पार घुसपैठ-तस्करी रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये असम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम राज्यों में काम करती है। जिसे “पूर्वोत्तर के प्रहरी” और “पहाड़ी लोगों के मित्र” उपनाम दिया जाता है।