लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल) (Weather News Today)। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में इस साल अब तक सप्ताह भर ही लोगों को कड़ाके की ठंड का अहसास हुआ था। बीते दो सप्ताह से गर्मी सा अनुभव होने लगा था। लोगों का कहना है कि पौष के महीने में फाल्गुन माह के मौसम जैसा अहसास हो रहा है। पौष-माह ठंड के लिए जाना जाता है। लेकिन, इस माह में तापमान अधिक रहना गेहूं की फसल के लिए हानिकारक साबित हो रहा था। हालांकि ठंड में बढ़ोतरी नहीं होने से सरसों और मटर की फसल बेहतर दिख रही हैं।
मौसम के बदले मिजाज से किसान हैरत में हैं। बीते चार-पांच सप्ताह में मौसम में काफी बदलाव आया है। पिछले दो सप्ताह से दिन में चटख धूप खिलने से ठंड कम होने लगी थी। पौष माह में फाल्गुन माह जैसी धूप खिलने से सभी हैरत में थे ही कि अचानक पौष मास ने अपना रंग दिखाया। शनिवार दोपहर पछुआ हवाओं के साथ हुई सावन जैसी बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए। उनका कहना है कि पूस की बारिश से फसलों को संजीवनी मिली है। वहीं दूसरी ओर गन्ना कटाई, गुड़ घाने बंद भी हो गए। इस बार पौष मास ने तीन ऋतुओं का रंग दिखाया।
आखिर मावठा किसे कहते हैं?
दरअसल, ठंड के मौसम में होने वाली बारिश को मावठा कहते हैं। इसे मावठा गिरना या मावठे की बारिश भी कहा जाता है। अक्सर, ठंड के मौसम में दिसंबर-जनवरी के मौसम में मावठा गिरता है। जिससे दिन का अधिकतम तापमान भी काफी हद तक गिर जाता है। मावठे की बारिश पश्चिमी विक्षोम यानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से होती है। ठंड के इस सीजन का पहला मावठा शनिवार सुबह से ही ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ गिरा। यह बारिश रुक-रुक कर रविवार सुबह तक चलती रही। इस दौरान ग्रामीण इलाकों में भी झमाझम बारिश हुई। बारिश से वातावरण में ठिठुरन बढ़ी है। वहीं हवा चलने से पारे में हल्की गिरावट आई है। रविवार सुबह से आसमान में बादल छाए हुए हैं।
बारिश से फसलों को होगा फायदा
अचानक जिले में हुई बारिश से फसलों को फायदा होगा। इस समय गेहूँ और चना की फसल में पानी देने का काम चल रहा है। ऐसे में बारिश होने से फसलों को फायदा हुआ है। हालांकि किसानों को कीट व अन्य रोगों को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
सर्द रहेगी 31 दिसंबर की रात
31 दिसंबर तक मौसम में फिर बदलाव होने का अनुमान है। सिस्टम के गुजरने के बाद प्रदेश समेत बैतूल में कोहरे और ठंड का असर बढ़ जाएगा। नए साल में लोगों को कड़ाके की ठंड के दौर से गुजरना पड़ेगा। इसके बाद जनवरी के पूरे महीने कंपकंपा देने वाली सर्दी पड़ने का अनुमान है।
दिसंबर में मौसम का यह है ट्रेंड
दिसंबर के आखिरी हफ्ते में मौसम यू-टर्न लेता है। इस बार भी यू-टर्न ले लिया है। इसका कारण यह है कि पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है। देश के उत्तरी हिस्से में बर्फीली हवा चलती है। इसका असर हमारे शहर में मावठे, तेज ठंड और कोहरे जैसे मौसम के रूप में होता है। सोमवार तक बादल छंट जाएंगे और कड़कड़ाती ठंड पड़ेगी। हालांकि, नमी रहने तक कोहरा छाता रहेगा। 31 दिसंबर और नववर्ष की शुरुआत भी सर्द होगी।
यहाँ देखें और सुनें मौसम विभाग द्वारा जारी वीडियो बुलेटिन…
इधर बेमौसम बारिश से खेड़ला किला जाने वाला मार्ग कीचड़ में तब्दील

शनिवार अचानक हुई बारिश से प्राचीन शिव मंदिर खेड़ला किला पहुंचने का मार्ग दलदल में तब्दील हो गया है। रविवार जब बारिश थमी और धूप खिली तो उबड़-खाबड़ मिट्टी युक्त मार्ग मिट्टी में तब्दील हो गया। खेड़ली चौक से किला तक 3 किमी के मार्ग में वाहन तो क्या पैदल चलना भी दूभर हो गया है। प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी शिवम साबले ने बताया कि आसपास के गांवों के लोग कई बार सड़क बनाने की मांग कर चुके हैं। अनेक बार मार्ग का भूमिपूजन होने के बाद भी ना तो जनप्रतिनिधि और ना ही अधिकारी इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
मार्ग की बदहाली से सभी भली-भांति वाकिफ
इस मार्ग की बदहाली से सभी भली भांति वाकिफ है। बारिश के दिनों में तो इस मिट्टी युक्त मार्ग पर इतना दलदल होता है कि 3 महीने चलना दूभर होता है। जिला मुख्यालय बैतूल से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन काल के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का सहज मिश्रण की पुरातनी धरोहर को समेटे खड़ा गोंड राजाओं के किले को पर्यटन के नक्शे पर जीवंत कर पुरातत्व विभाग चाहे तो एक अच्छा हेरिटेज बनाया जा सकता है।