उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में, गन्ना विकास विभाग ने दो नई गन्ना किस्मों को मंजूरी दी है। ये किस्में किसानों को बेहतर पैदावार और अधिक चीनी उत्पादन देने में मदद करेंगी। इन नई किस्मों के नाम हैं को. शा. 19231 (जिसे ‘लहरी’ भी कहा जाता है) और को. से. 17451।
‘लहरी’ लाएगी हरियाली
को. शा. 19231, जिसे ‘लहरी’ नाम दिया गया है, गन्ना अनुसंधान परिषद, शाहजहांपुर द्वारा विकसित की गई है। यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है। आंकड़ों के अनुसार, इसकी औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर है। जनवरी महीने में इसके रस में चीनी की मात्रा 17.85% और चीनी रिकवरी 13.20% पाई गई है।
दूसरी किस्म भी है कमाल की
दूसरी किस्म है को. से. 17451, जिसे सेवरही संस्थान में विकसित किया गया है। इसकी औसत उपज 87.96 टन प्रति हेक्टेयर है। जनवरी में इसके रस में चीनी की मात्रा 16.63% और चीनी रिकवरी 12.82% रही।
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पुरानी किस्मों से बेहतर
ये दोनों नई किस्में, लोकप्रिय किस्म को. 238 से बेहतर परिणाम दे रही हैं। को. 238 की औसत उपज 82.97 टन प्रति हेक्टेयर है, और जनवरी में चीनी की मात्रा 17.8% और चीनी रिकवरी 13.20% रही। हालांकि, को. 238 में अब लाल सड़न रोग की समस्या आने लगी है, जिससे पैदावार और चीनी की मात्रा में कमी आई है।
किसानों के लिए फायदेमंद
गन्ना अनुसंधान परिषद ने को. शा. 19231 को पूरे उत्तर प्रदेश में और को. से. 17451 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त बताया है। को. शा. 19231 में मध्यम मोटाई और ठोस संरचना होती है, और यह लाल सड़न रोग के प्रतिरोधी है। को. से. 17451 भी एक अच्छी किस्म है। इन दोनों किस्मों की खेती से गन्ना उत्पादन और चीनी उत्पादन दोनों में वृद्धि हो सकती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा। इसलिए, किसानों को नई किस्मों को अपनाने की सलाह दी गई है।