Betul Kheti News : राहत की दो खबरें- सांपना डैम से छोड़ा पलेवा का पानी, डीएपी की बैतूल पहुंची रैक

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बैतूल (Betul Kheti News)। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के किसानों के लिए एक ही दिन में दो राहत की खबरें आई हैं। एक ओर लंबे अंतराल के बाद मंगलवार को सांपना जलाशय से पलेवा के लिए पानी छोड़ दिया है। सांपना जलाशय के पानी का लाभ बैतूल बाजार क्षेत्र के कई किसानों को मिलेगा। वहीं दूसरी ओर जिले में डीएपी की रैक पहुंच गई है। इससे खाद की किल्लत दूर होगी।

किसानों की डिमांड आने पर मंगलवार को सांपना जलाशय से रबी फसल की बोवनी करने पलेवा के लिए पानी छोड़ दिया है। अब किसान जलाशय के पानी से पलेवा का काम शुरु कर सकेंगे। हालांकि किसानों के खेतों तक पानी पहुंचने के लिए कई किसानों को दो-तीन दिन का इतजार करना पड़ेगा। अधिकारियों ने सांपना जलाशय पहुंचकर विधिवत पूजा-अर्चना कर पानी छोड़ा। इस दौरान कई किसान भी मौके पर मौजूद थे।

पिछले कई दिनों से किसान कर रहे थे इंतजार

उल्लेखनीय है कि किसान कई दिनों से जलाशय से पानी छोड़े जाने का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार किसानों का इंतजार खत्म हो गया। अभी यह केवल पलेवा करने के लिए पानी छोड़ा है। इसके बाद रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा। इस बार जलाशय में पानी पर्याप्त होने के कारण किसानों को भरपूर पानी मिलेगा।

जल्द किसान कर पाएंगे बोवनी का कार्य

जलाशय से पानी छोड़े जाने के इंतजार में किसान अब तक रबी फसल की बोवनी नहीं कर पाएं हैं। अब पलेवा करने के बाद किसान बोवनी कार्य कर पाएंगे। बैतूल बाजार सहित आस-पास के गांवों के किसान सांपना जलाशय के पानी पर निर्भर है, इसलिए किसानों को जलाशय से पानी छोड़े जाने का इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद किसान सिंचाई और बोवनी कार्य कर पाते है।

पहले ही की जा चुकी थी नहरों की सफाई

सांपना जलाशय के पानी से क्षेत्र के हजारों किसानों को सिंचाई का लाभ मिलता है। जल संसाधन विभाग ने पानी छोड़े जाने के पहले ही नहरों की साफ-सफाई भी पूरी कर ली थी। इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने पानी छोड़े जाने को लेकर किसानों से चर्चा की। इसके बाद जलाशय से पानी छोड़ा गया।

डीएपी की बैतूल पहुंची रैक, सोसायटियों में भेजना शुरू

बैतूल जिले में डीएपी खाद की किल्लत के बीच डीएपी खाद की एक रैक बैतूल पहुंची। जल्द ही अब खाद की किल्लत दूर हो जाएगी। किसानों को सोसायटियों से आसानी से खाद उपलब्ध होगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगलवार को 2700 मीट्रिक टन डीएपी खाद की रैक बैतूल पहुंची है। रैक के पहुंचते ही परिवहन का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। खाद को जल्द ही सोसायटियों में भेजा जाएगा।

बोवनी के समय होता है डीएपी का ज्यादा उपयोग

जिन किसानों का बोवनी कार्य होना है, उन्हें आसानी से खाद उपलब्ध हो जाएगा। अधिकतर किसानों का बोवनी पूरा हो चुका है। रबी फसल में बोवनी के समय डीएपी खाद का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। कई दिनों से डीएपी खाद की डिमांड थी। आखिरकार खाद की रैक पहुंच गई है। खाद आने के बाद किसानों ने राहत की सांस ली है। किसानों को डीएपी की जगह एनपीके खाद थमाया जा रहा था। किसान दूसरा खाद लेने के लिए तैयार नहीं थे। अब किसानों को डीएपी खाद ही उपलब्ध हो पाएगा।

70 फीसदी खाद सोसायटियों में जाएगा

अधिकारियों के मुताबिक 2700 मीट्रिक टन खाद सोसायटियों को वितरित किया जाएगा। कुछ फीसदी खाद निजी दुकानों के लिए सप्लाई होगा। अधिकारियों का कहना है खाद की रैक पहुंचने के बाद जिले में खाद की किल्लत नहीं रहेगी। शासन के निर्देशानुसार खाद सबसे पहले सोसायटियों को भेजा जा रहा है। कई दिनों से सोसायटियां डीएपी खाद की डिमांड कर रही थीं। सोसायटियों की संख्या के आधार पर खाद की सप्लाई करेंगे।

कई दिनों से बनी है खाद की किल्लत

किसानों का कहना है कि जिले में कई दिनों से खाद की किल्लत बनी हुई है। बोवनी के समय डीएपी खाद की सबसे ज्यादा डिमांड है, लेकिन किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि एनपीके खाद में डीएपी की तरह पोषक तत्व मौजूद है। किसान इसका उपयोग भी कर सकते है। किसानों को भले ही एनपीके खाद डालने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन किसान डीएपी खाद की राह देख रहे है। हालांकि अब किसानों का इंतजार खत्म हो गया है।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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