Bhopal-Kanpur Economic Corridor: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर कानपुर तक अभी 2 लेन नेशनल हाईवे हैं। अब इसे 3589 करोड़ रुपये की लागत से 4 लेन में कन्वर्ट किया जाएगा और इकानॉमिक कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इससे जहां इन दोनों शहरों के बीच की दूरी कम समय में तय हो सकेंगी वहीं जिन क्षेत्रों से यह कॉरिडोर गुजरेगा, वहां विकास की बहार भी आ सकेगी।
भोपाल-कानपुर इकानॉमिक कॉरिडोर की कुल लंबाई 526 किलोमीटर है। इसमें से 360 किलोमीटर का हिस्सा मध्यप्रदेश में है जबकि शेष 166 किलोमीटर उत्तरप्रदेश में है। अभी यह सड़क 2 लेन है। इससे परिवहन तेज गति से नहीं हो पाता है। इसके चलते इसे फोरलेन में अपग्रेड किया जा रहा है। इसके लिए 3589 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। इस कॉरिडोर का काम अगले साल यानी 2026 तक पूरा कर लिए जाने का टॉरगेट रखा गया है। इसे अपग्रेड करने का काम 4 चरणों में पूरा किया जाएगा।
अभी भोपाल से कानपुर की दूरी 560 किलोमीटर है। कानपुर जाने के लिए छतरपुर या झांसी होकर जाना होता है। इससे यह दूरी करीब 12 से 14 घंटे में तय हो पाती है। फोरलेन कॉरिडोर बन जाने से महज 8 से 10 घंटों में ही यह सफर तय हो सकेगा। जाहिर है कि इससे कम समय के साथ ही इंधन भी कम लगेगा। यही कारण है कि इस कॉरिडोर के बनने का सभी को खासा इंतजार है।
इन स्थानों से गुजरेगा भोपाल-कानपुर कॉरिडोर
भोपाल-कानपुर इकानॉमिक कॉरिडोर भोपाल से शुरू होगा और सांची, विदिशा, ग्यारसपुर, राहतगढ़, सागर से होते हुए छतरपुर जिले के सतई घाट तक जाएगा। उधर उत्तरप्रदेश में यह कॉरिडोर कानपुर शहर, कानपुर देहात, हमीरपुर होते हुए महोबा सीमा से छतरपुर में इस कॉरिडोर से मिल जाएगा। वहां कानपुर से कबरई महोबा तक यह सड़क बनेगी। यह पूरा काम चार चरणों में पूरा किया जाएगा।
सबसे पुराने नेशनल हाईवे से मिलेगा कॉरिडोर
भोपाल-कानपुर इकानॉमिक कॉरिडोर की खास बात यह होगी कि कानपुर के आसपास देश के सबसे पुराने दिल्ली-कोलकाता नेशनल हाईवे (ग्रांट ट्रंक रोड) से भी मिलेगा। इससे प्रयागराज और वाराणासी तक की भी सीधी कनेक्टिविटी मध्यप्रदेश की हो सकेगी। इस कॉरिडोर से दोनों ही राज्यों में व्यवसाय और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सीमेंट, मुरम, गिट्टी जैसे खनिज के परिवहन में भी आसानी होगी।