Adventure sports success story: बैतूल। टूटे सपनों को फिर से जोड़ने की ताकत अगर किसी में होती है, तो वह है जज्बा। बैतूल जिले के मुलताई तहसील के रहने वाले सतीश बिंझाडे ने इसी जज्बे की मिसाल कायम की है। वर्ष 2019 में एक भीषण ट्रेन हादसे ने उनका बायां पैर घुटने के नीचे से छीन लिया, लेकिन उनके सपनों और हौसलों को नहीं तोड़ सका।
जहां आमतौर पर ऐसे हादसे जिंदगी की रफ्तार थमा देते हैं, वहीं सतीश ने अपनी कश्ती को नए साहसिक सफर पर मोड़ दिया। उन्होंने खुद को चुनौती दी और एडवेंचर स्पोर्ट्स में कदम रखा। लेह-लद्दाख की बर्फीली चोटियों से लेकर ऊंचे पर्वतों और कठिन मैराथनों तक, सतीश ने हर चुनौती को पार किया और अपनी कामयाबी का परचम लहराया।
प्रदेश का प्रतिनिधि कर जीता पदक (Adventure sports success story)
आज सतीश भोपाल स्थित मध्यप्रदेश वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी में कोच पीजूस कांति बरोई के मार्गदर्शन में पिछले दो वर्षों से कठिन ट्रेनिंग कर रहे हैं। इसी मेहनत का नतीजा रहा कि भोपाल में आयोजित 18वीं नेशनल पैरा कैनोइंग चैम्पियनशिप 2024-25 में उन्होंने मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में मनीष कोरव ने स्वर्ण पदक जीता और सतीश बिंझाडे ने रजत पदक अपने नाम कर प्रदेश को गर्व से भर दिया।
प्राची यादव को मानते हैं अपना आदर्श (Adventure sports success story)
सतीश बताते हैं कि वॉटर स्पोर्ट्स में आने की प्रेरणा उन्हें मशहूर खिलाड़ी प्राची यादव से मिली। प्राची को वे अपना आदर्श और मार्गदर्शक मानते हैं। सतीश का मानना है कि हार मानना किसी भी इंसान की सबसे बड़ी हार होती है। जि़ंदगी कहीं से भी दोबारा शुरू की जा सकती है, बशर्ते हिम्मत और उम्मीद कायम रहे।
अब अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप पर नजर (Adventure sports success story)
अब सतीश की नजरें अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप पर हैं। वे दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि एक दिन तिरंगे को दुनिया के मंच पर लहरा सकें। सतीश कहते हैं कि उनका सपना है अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना और यह साबित करना कि हौसलों के सामने कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती। उन्होंने युवाओं को प्रेरणा देते हुए कहा कि हृदय कश्ती तूफान से गुजर सकती है यह बिगड़ी हुई बात फिर बन सकती है। हौसले बुलंद रखो यह तकदीर फिर बदल सकती है।