विजय सावरकर, मुलताई (Big Breaking News)। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई ब्लॉक की महाराष्ट्र बैंक की ग्राम जौलखेड़ा शाखा में एक करोड रुपए से अधिक राशि का अवैध लेनदेन कर गबन करने वाले पूर्व शाखा प्रबंधक को द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दोषी ठहराते हुए दस साल के सश्रम कारावास और 87 लाख 40 हजार रुपए की अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं इस प्रकरण में सहआरोपी तत्कालीन शाखा प्रबंधक सहित दो किसानों को सात-सात साल के सश्रम कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपियों में तत्कालीन शाखा प्रबंधक क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा भी शामिल है।
सरकारी वकील राजेश साबले ने बताया बीते 3 जुलाई 2013 को बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र शाखा जौलखेड़ा के तत्कालीन प्रबंधक सहआरोपी विनय ओझा ने रीजनल मैनेजर भोपाल को जौलखेड़ा शाखा में 2 जून 2013 को 99 लाख रुपए के संव्यवहार के संबंध में लिखित सूचना दी थी। इस सूचना पर तत्कालीन मुख्य प्रबंधक निरीक्षण एवं विजिलेंस जीएस बाघेला ने जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन सौंपा था। उच्च अधिकारियों के निर्देश पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक रितेश चतुर्वेदी ने जिला पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत की थी।
शिकायत में पूर्व शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र शाखा जौलखेड़ा अभिषेक रत्नम द्वारा 1 जून 2013 शनिवार को एवं 2 जून रविवार को सीबीएस कोर बैंकिंग सॉल्यूशन के माध्यम से शाखा में अनियमित लेनदेन करने का उल्लेख था। इस मामले में यहां खुलासा हुआ था कि 1 जून 2013 को पूर्व शाखा प्रबंधक अभिषेक रत्नम जो उस दौरान मुलताई शाखा में कार्यरत थे ने पार्ट टाइम स्वीपर से शाम 4:45 बजे के दरमियान शाखा को खुलवाया जबकि शाखा शनिवार को बैंकिंग कार्य का अर्ध दिवस होने के चलते दोपहर 2:35 बजे बंद हो चुकी थी।
बैंक में प्रवेश करने के बाद अभिषेक रत्नम ने शाखा में लगे सीसीटीवी कैमरो को भी बंद कर दिया था। उसके बाद अभिषेक रत्नम ने ऑफिस अकाउंट के 11 लाख रूपए बिना किसी प्राधिकार के दो ग्राहकों के खाते में जमा कर दिए थे। जिसमें बैंक आफ महाराष्ट्र की मोरखा शाखा के खाते में 5 लाख रुपए और जौलखेड़ा शाखा के खाते में 6 लाख रूपए जमा किए थे।
रविवार के दिन भी किया था लेनदेन
आरोपी अभिषेक रत्नम ने 2 जून रविवार को बिना किसी प्राधिकार के शाखा में पहुंचकर 99 लाख रुपए से अधिक राशि का लेनदेन किया था। सभी लेनदेन कोर बैंकिंग सोल्यूशन के माध्यम से कैसे एंट्री करके किया गया था। वहीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 12 नए खाते खोलकर लेनदेन किया था।
तत्कालीन शाखा प्रबंधक और केशियर की आईडी का उपयोग*
अभिषेक रत्नम ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक विनय ओझा और केशियर दीनानाथ राठौर की आईडी और पासवर्ड का उपयोग कर लेनदेन किया था। लेन देन का ना तो कोई वाउचर था ना ही कोई लोन डॉक्यूमेंट था। इलेक्ट्रॉनिक वाउचर वेरीफिकेशन सिस्टम किए जाने का कार्य भी अभिषेक रत्नम ने 3 जून को शाखा विजिट के दौरान शाखा खोलने के पूर्व पूरा कर दिया था ।
5 आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुआ था केस
पुलिस इस प्रकरण में आरोपी अभिषेक रत्नम पिता दिलीप कुमार शर्मा निवासी अमला टोला बिहार, बैंक कर्मी विनय कुमार ओझा निवासी रतलाम, बैंक कर्मी निलेश छलोत्रे निवासी हरदा और धनराज पिता दुलीचंद पवार निवासी ग्राम डिवटियां थाना मुलताई, लखनलाल पिता बाबूलाल हिंगवे निवासी तरोडा बुजुर्ग थाना बोरदेही के खिलाफ धारा 409, 420, 120 बी, 467, 471 सहित आईटी एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज कर विवेचना उपरांत प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
चार आरोपियों को सुनाई सजा
न्यायाधीश ने प्रकरण की सुनवाई उपरांत मंगलवार को चार आरोपियों को सजा से दंडित किया है। आरोपी अभिषेक रत्नम को धारा 409 के तहत दोषी ठहराते हुए 10 साल के सश्रम कारावास और 80 लाख रुपए के अर्थ दंड से वहीं अन्य धाराओं में भी सजा और कुल 7 लाख 40 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया है। वहीं आरोपी विनय ओझा को धारा 409 में सात साल के सश्रम कारावास और 7 लाख रुपए के अर्थदंड और धारा 120 बी के तहत सात साल के सश्रम कारावास और 7 लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं धनराज पवार और लखन लाल हिंगवे को धारा120 के तहत सात-सात साल के सश्रम कारावास और पृथक-पृथक सात सात लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। निलेश छलोत्रे को दोष मुक्त कर दिया है।