Mahakumbh Ka Time Table: घड़ी या कैलेंडर से तय नहीं होता कुंभ आयोजन, आकाश से जुपिटर और सन बताते हैं शुभ मुहूर्त

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Mahakumbh Ka Time Table: प्रयागराज में पूर्णिमा से आरंभ महाकुंभ को लेकर आम लोगों का मानना है कि किसी एक स्‍थान पर कुंभ 12 साल बाद होता है। लेकिन, हर बार ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है। किसी एक स्‍थान पर कुंभ का दोबारा आयोजन 11 वर्ष बाद भी हो सकता है। इस बारे में नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने खगोल वैज्ञानिक जानकारी दी।

सारिका ने बताया कि कुंभ किस साल आयोजित होगा, इसके लिये यह देखा जाता है कि बृहस्‍पति किस तारामंडल में है। महीने को निर्धारित करने के लिये यह देखा जाता है कि सूर्य किस तारामंडल में है। जुपिटर लगभग 12 साल बाद पुन: उसी तारामंडल में लौटता है, इसलिये किसी स्‍थान पर 12 साल बाद कुंभ भी दोबारा होता है।

सारिका ने बताया कि वैज्ञानिक गणना के अनुसार बृहस्‍पति 12 साल में लगभग 50 दिन पहले ही 4,330.5 दिन में सूर्य की परिक्रमा कर लेता है, जबकि 12 साल में 4380 दिन होते हैं। 50 दिन का यह अंतर 7 वे या 8 वे कुंभ के बाद 1 साल का हो जाता है। इस कारण जुपिटर 11 वें साल में निर्धारित तारामंडल में आ जाता है और उस स्‍थान पर कुंभ आयोजन 11 वें वर्ष में ही किया जाता है। ऐसा हरिद्वार में हुआ था, जब 2010 के बाद 2021 में कुंभ हुआ था। इसके 83 साल पहले 1938 मे 11 वें साल यह आयोजन हुआ था।

इस तरह कुंभ आयोजन घड़ी या कैलेंडर से तय नहीं होता, बल्कि इसे तय करते हैं आकाशीय घड़ी में बृहस्‍पति और सूर्य के कांटे। सबसे खास बात यह है कि यह आकाशीय घड़ी बिना किसी भेदभाव के हर आमजन को बताती है आ कि लो भई, आ गई कुंभ की घड़ी।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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