Tapti River : (मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़) मध्यप्रदेश के मुलताई स्थित उद्गम स्थल से प्रवाहमान पुण्य सलिला सूर्यपुत्री मां ताप्ती पृथ्वी के जिस भी मार्ग से होकर गुजरी है, वह पावन और पवित्र हो जाता है। ताप्ती जल के आचमन मात्र से मन और आत्मा तृप्त हो जाती है।
इसलिए आदि गंगा कही जाने वाली पतित पावनी मां ताप्ती में अलग-अलग पर्वों पर स्नान आदि का महत्व और स्थानों का चयन ऋषि मुनियों ने वेद पुराणों में लिखा है। सदियों से पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहमान ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की यह नदी है। समय बदला युग बदला लेकिन इनकी दिशा नहीं बदली।
मां नर्मदा को आपने ओमकार रूप में ओंकारेश्वर में देखा होगा, लेकिन सूर्यपुत्री मां ताप्ती भी बैतूल जिले में ही बोरीकास गांव के पास ऊं स्वरूप ओमकार रूप में बह रही है। जहां स्नान करने का महत्व बहुत ही पुण्य फलदायी है। यह जानने वाले पर्वों पर स्नान करने यहां बड़ी संख्या में जाते हैं।
बैतूल अपडेट संवाददाता मनोहर अग्रवाल ने गूगल मैप से निकाला यह चित्र ओमकार स्वरूप मां ताप्ती का है। यहां ताप्ती नदी के तट पर ही सरभंग ऋषि का आश्रम है जहां ताप्ती नदी से पार होकर भगवान श्री राम, जानकी जी और लक्ष्मण रुके थे।
वर्तमान में आस पास गांव के लोग इसे राणा देव नाम से पूजा करते है। लेकिन, ताप्ती पुराण में यह स्थान सरभंग ऋषि का आश्रम है। भगवान श्री राम की दंडक वन यात्रा यहीं से शुरू होती है।