Ganv Ki Beti Yojana : मध्यप्रदेश के बैतूल में स्थित पीएमश्री जेएच कॉलेज में शासन की महत्वाकांक्षी गांव की बेटी योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां 5 साल में 1.44 करोड़ रुपये का गड़बड़झाला उजागर हुआ है। यह राशि छात्राओं को देने के बजाय किन्हीं और ही खातों में पहुंचा दी गई। मामला सामने आने पर इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कॉलेज में ऑडिट टीम ने जुलाई 2019 से सितंबर 2024 तक का ऑडिट किया। इसमें यह बात सामने आई कि 95 से 98 खातों में 1 करोड़, 44 लाख, 65 हजार रुपये की राशि अवैध तरीके से पहुंचाई गई है। जबकि इस राशि का लाभ छात्राओं को मिलना था। इस फर्जीवाड़े के चलते पात्र छात्राओं को योजना का लाभ नहीं मिला। यह गड़बड़ी पाए जाने पर ऑडिटर ने उच्च शिक्षा विभाग के कमिश्नर और महा लेखाकार को पत्र लिखा था। महालेखाकार ने कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को गड़बड़ी की जांच करने के लिए पत्र लिखा।
जांच के लिए कॉलेज पहुंची टीम
इस पर कलेक्टर ने ट्रेजरी ऑफिसर अरुण वर्मा सहित 5 सदस्यीय टीम को जांच का जिम्मा सौंपा। सोमवार को इस टीम ने कॉलेज पहुंच कर जांच-पड़ताल की। सूत्रों के अनुसार इस टीम ने भी फर्जीवाड़ा होना पाया है। इससे पहले इस गड़बड़ी का मामला सामने आने पर उच्च शिक्षा विभाग के कमिश्नर के निर्देश पर कॉलेज के चार कमरों को सील कर दिया गया था। इन कमरों में गांव की बेटी योजना के फार्म रखे हैं।
क्या है गांव की बेटी योजना
ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को उच्च शिक्षा आसानी से प्राप्त हो सके और आर्थिक कारणों से उनकी पढ़ाई न छूटे, इसलिए यह योजना चलाई जाती है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को 12वीं में अच्छे अंक प्राप्त करने पर प्रतिमाह 500 रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में दी जाती है। एक छात्रा को 10 माह तक लगभग 5 हजार की राशि दी जाती है। यहां इस फर्जीवाड़े के कारण कई छात्राएं इस लाभ से वंचित रह गईं। अधिकांश छात्राओं के बैंक खाता नंबर बदलकर निजी खातों में राशि ट्रांसफर कर दी गई। बताया जाता है कि जांच टीम इन बैंक खाता नंबरों की जांच भी करेगी, जिनमें राशि ट्रांसफर की गई है।
एक्सल शीट में नम्बर बदलकर किया फर्जीवाड़ा
सूत्रों के अनुसार योजना से संबंधित सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन की जाती है। सबसे पहले छात्राओं के फॉर्म ऑनलाइन लिए जाते हैं। समिति के माध्यम से इसकी सूची तैयार कर स्वीकृति के लिए प्राचार्य के पास पहुंचाई जाती है। प्राचार्य के हस्ताक्षर होने के बाद कोषालय में बिल लगाने के लिए सूची को एक्सल शीट में डाउनलोड करना होता है। कम्प्यूटर टेक्नालॉजी के जानकार बताते हैं कि एक्सल शीट में छेड़छाड़ करना संभव हो जाता है। इस बात की पूरी संभावना है कि एक्सल शीट में खाते नम्बर बदलकर बिल ट्रेजरी में लगा दिए और शीट में दर्ज बैंक खातों में राशि सीधे ट्रांसफर हो गई। यदि बैंक खातों की जांच की गई तो उन सभी खाताधारकों के नाम सामने आ जाएंगे, जिनके खातों में पैसा जा रहा था।