विनोद पातरिया, घोड़ाडोंगरी (Betul Samachar)। नगर परिषद घोड़ाडोंगरी की फर्जी एनओसी से रजिस्ट्री करने वाले क्रेता-विक्रता पर करीब 2 साल बाद भी नगर परिषद एफआईआर दर्ज नहीं करा पाई। वहीं इस प्रकरण को लेकर नगर परिषद घोड़ाडोंगरी के सहायक ग्रेड-3 अंकुर तेलकर पर लगातार परिषद सदस्यों को गुमराह करने और नामांतरण के इस प्रकरण में लगातार छेड़छाड़ करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। लिपिक पर शासकीय दस्तावेज इस फाइल से गायब किये जाने सहित यह आरोप नगर परिषद घोड़ाडोंगरी के उपाध्यक्ष सोनू खनूजा ने लगाए हैं।
उपाध्यक्ष सोनू खनूजा ने आरोप लगाया है कि बाबू के हौसले इसलिए भी बुलंद है क्योंकि इस प्रकरण में नगर परिषद घोड़ाडोंगरी के तत्कालीन सीएमओ ऋषिकांत यादव को निलंबित किया जा चुका है। लेकिन, जिस प्रकरण में एफआईआर होना है उसी नामांतरण की फाइल को गलत तरीके से उसका नामांतरण प्रक्रिया शुरू करने वाले राजस्व निरीक्षक का प्रभार देख रहे सहायक ग्रेड 3 (परिवीक्षा अवधि) अंकुर तेलकर पर इस मामले में अब तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए बाबू लगातार फाइलों से छेड़छाड़ कर रहा है।
यह है पूरा मामला
नगर परिषद घोड़ाडोंगरी में आबादी भूमि लगातार विवादित बनी हुई है। आबादी की भूमि की रजिस्ट्री के लिए नगर परिषद की फर्जी एनओसी तैयार कर रजिस्ट्री करने के बाद नगर परिषद में नामांतरण का केस लगा दिया गया था। जिस मामले की जांच के दौरान पता चला कि फर्जी एनओसी से रजिस्ट्री हुई थी।
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पुलिस को की थी शिकायत
इसके बाद नगर परिषद घोड़ाडोंगरी के तत्कालीन सीएमओ ब्रजकिशोर शर्मा द्वारा फर्जी एनओसी करने वाले क्रेता-विक्रेता पर एफआईआर दर्ज करने के लिए सारणी थाना एवं पुलिस अधीक्षक बैतूल को लिखित शिकायत की गई थी। जिस पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पीओ डूडा को भी पत्र लिखा गया था। पीओ डूडा द्वारा मामले की जांच करने के बाद क्रेता-विके्रता पर दर्ज करने के दोबारा निर्देश दिए गए थे। परंतु 2 साल बीत जाने के बाद भी इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है।
परिषद को किया जा रहा गुमराह
नगर परिषद घोड़ाडोंगरी के उपाध्यक्ष सोनू खनूजा ने बताया कि जिस प्रकरण में तत्कालीन सीएमओ ऋषिकांत यादव को नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त द्वारा निलंबित किया गया। उसी प्रकरण में नगर परिषद की राजस्व शाखा का प्रभार देख रहे अंकुर तेलकर ने ही नामांतरण की प्रक्रिया शुरू की थी। इसलिए अंकुर तेलकर पर भी कार्रवाई होनी। लेकिन अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए अंकुर तेलकर द्वारा नामांतरण की फाइल में लगातार छेड़छाड़ कर शासकीय दस्तावेज गायब कर बार-बार परिषद की बैठक में नामांतरण के लिए रखा जा रहा है और परिषद के सदस्यों को गुमराह किया जा रहा है।