Betul Samachar : बैतूल। जिले की घोड़ाडोंगरी तहसील के ग्राम डुल्हारा में जन्मे शहीद मदन लाल आहके ने अपनी पूरी जिंदगी देश सेवा को समर्पित कर दी। वह मध्यम वर्गीय परिवार से थे और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में भर्ती हुए। देश सेवा के दौरान 27 नवंबर 2013 को वह वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी शहादत ने परिवार पर दु:खों का पहाड़ तोड़ दिया। उनकी पत्नी संगीता आहके पर अचानक से सारी जिम्मेदारियां आ गईं, लेकिन उन्होंने इन कठिनाइयों को अपने साहस और समर्पण से मात दी।
शहीद मदन लाल के पिता किशन लाल आहके और पत्नी संगीता आहके ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया। परिवार में एक के बाद एक दुखद घटनाएं हुईं। फरवरी 2012 में शहीद की तीसरी बहन का आकस्मिक निधन हो गया और नवंबर 2012 में उनकी माता का भी देहांत हो गया। इन गमों के बीच संगीता ने खुद को संभाला और पूरे परिवार को भी टूटने नहीं दिया।
संगीता आहके ने शहीद मदन लाल की बहनों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उन्होंने एक ननंद की शादी कराई, दूसरी ननंद को उच्च शिक्षा दिलाई और उसे सरकारी नर्स बनाया। आज भी वह अपनी एक ननंद और अपने बच्चों की शिक्षा का भार संभाल रही हैं। स्वयं शिक्षिका बनकर वह सावित्री बाई फुले की तरह समाज को शिक्षा का संदेश दे रही हैं।
संगीता आहके पांच भांजे-भांजियों का भी पालन-पोषण कर रही हैं। उनके साहस और कर्तव्य भावना ने शहीद के पिता को कभी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी और जवान बहनों को भाई का सहारा दिया। इस युग की वीरांगना कहे जाने वाली संगीता आहके को उनके जज्बे और जुनून के लिए देश सलाम कर रहा है।
श्री गुरुसाहेब सेवा संगठन मलाजपुर के केवल राम यादव, पूर्व सैनिक संदीप आर्य, मुकेश बिसोने, प्रकाश यादव, अंकित आर्य, अमर सलामे, पूर्व सैनिक संघ जिला बैतूल के सुरेश यादव, जगदीश ठाकुर, भूपेंद्र साहू, जगदीश गड़ेकर, अनिल मर्सकोले, गोपाल बिंकोडे, जितेश राठौर और संजीव इवने ने संगीता के साहस को नमन किया है। श्री गुरुसाहेब सेवा संगठन मलाजपुर द्वारा वीरांगना संगीता आहके का विजय दिवस 16 दिसंबर के दिन सम्मान किया जाएगा।