Bhagavad Gita Tips: हर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। इसके लिए मेहनत और निरंतर अभ्यास जरूरी है। लेकिन कई बार कठिनाइयों के कारण सही निर्णय लेने में असमर्थता होती है, जिससे निराशा हाथ लगती है। अगर आप भी ऐसे किसी दौर से गुजर चुके हैं, तो भगवद गीता की ये 3 बातें अपनाएं, जो न केवल आपके फैसले को सही दिशा देंगी बल्कि संघर्ष को भी कम करेंगी।
1. सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता
जब अर्जुन कुरुक्षेत्र के युद्ध में खड़े थे, तो उनके सामने दो विकल्प थे—पहला, युद्ध करना जो कठिन, लेकिन सही था और दूसरा, पीछे हटना जो आसान, लेकिन गलत था। गीता में श्रीकृष्ण ने समझाया कि कठिनाइयों से बचने की प्रवृत्ति सही नहीं होती। अक्सर लोग कठिन निर्णयों से बचते हैं, जैसे कि एक खराब नौकरी या रिश्ते को छोड़ने में हिचकिचाना। लेकिन बदलाव जरूरी है, क्योंकि आसान रास्ता हमेशा सही नहीं होता।
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2. भावनाओं को निर्णयों पर हावी न होने दें
कुरुक्षेत्र में अर्जुन अपने परिवार के प्रति प्रेम और योद्धा धर्म के बीच उलझ गए थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें सिखाया कि भावनाओं के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। भावनाएँ अस्थायी होती हैं—डर खत्म होता है, उत्साह ठंडा पड़ता है और गुस्सा शांत हो जाता है। यदि आप किसी क्षणिक भावना के आधार पर निर्णय लेंगे, तो वह भविष्य में टिकेगा नहीं। इसलिए, किसी भी निर्णय से पहले ठहरकर सोचें कि बिना भावनात्मक प्रभाव के उसका परिणाम क्या हो सकता है।
3. गलत निर्णय लेने के डर से निर्णय न टालें
श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि आप किसी निर्णय को लेकर पूर्ण निश्चितता की प्रतीक्षा करेंगे, तो जीवनभर इंतजार ही करते रहेंगे। “अगर मैं असफल हुआ तो?”, “अगर यह रास्ता गलत निकला तो?”—ऐसे सवालों में मत उलझें। कोई भी निर्णय व्यर्थ नहीं जाता—सही निर्णय सफलता देता है और गलत निर्णय एक सीख। अगर आप किसी गलत रास्ते पर भी जाते हैं, तो वह भी आपको लक्ष्य तक पहुंचाने के नए तरीके सिखाता है। इसलिए असफलता के डर से निर्णय न टालें।