प्रकाश सराठे, रानीपुर (बैतूल) (Shivdham Bhopali Betul)। महाशिवरात्रि का पर्व करीब है। ऐसे में मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में रानीपुर क्षेत्र में स्थित शिवधाम भोपाली में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का यहां जुटना तय है। बारिश और पहाड़ से बहने वाले पानी की वजह से यहां का पहाड़ पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष दो टुकड़ों में बंट चुका है। ऐसे में एक बड़े हादसे के होने से इनकार नहीं किया जा सकता। संभावित खतरे को दृष्टिगत रख अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया।
शाहपुर एसडीएम डॉ. अभिजीत सिंह और घोड़ाडोंगरी तहसीलदार महिमा मिश्रा ने यह निरीक्षण किया। इस दौरान रानीपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी झलकन शाह, रानीपुर थाना प्रभारी अवधेश तिवारी, बीएमओ डॉक्टर संजीव शर्मा जनपद पंचायत के विनय डोंगरे व मनोहर चौरे सहित राजस्व अमला मुख्य रूप से उपस्थित रहा।
बीते साल के मुकाबले बढ़ा गेप
निरीक्षण के पश्चात एसडीम डॉक्टर अभिजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष भोपाली की पहाड़ियों में गेप (दरार) बढ़ गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए शिखर मंदिर जाने पर टोटल प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने बताया कि आमला एवं शाजपुर के मार्ग से होकर आने वाले श्रद्धालुओं को शिखर मंदिर पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। वहीं श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते एंबुलेंस एवं भारी पुलिस बल तथा वन विभाग के कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे।
अंबा माई परिसर से करने होंगे दर्शन
श्रद्धालुओं को अंबा माई परिसर में एलईडी के माध्यम से भगवान के दर्शन कराकर यहीं से वापस लौटना होगा। जिसके लिए प्रशासन की ओर से एलईडी के बड़े स्क्रीन की व्यवस्था भी बनाई गई है। मंदिर के पुजारी इंदल यादव ने बताया कि पहाड़ियों में दरार आने की वजह से श्रद्धालुओं को अंबा माई परिसर में ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन कराकर पूजन अर्चन करने के पश्चात लौटना होगा।
मंदिर परिसर में लगी दुकानें हटाई गईं
वन परिक्षेत्र अधिकारी झलकन शाह के नेतृत्व में डिप्टी रेंजर एवं अधीनस्थ कर्मचारियों के माध्यम से मंदिर परिसर दुकान संचालित करने वालों को आज मौके पर पहुंचकर मंदिर परिसर से हटकर दुकान लगाने की सलाह दी गई। उन्हें कहा गया यदि किसी ने दुकान लगाकर दुकान संचालित करने का प्रयास किया गया तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
रानीपुर से महज 4 किलोमीटर दूर पहाड़ की गुफा में विराजे भगवान भोले नाथ का यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। प्रति वर्ष शिवरात्रि पर जिले के सैकड़ों ग्रामों और बाहरी जिलों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ऐसे में कोई गंभीर हादसा ना हो जाएं, इसको लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ पांव फूले हुए हैं।
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हादसा होने से नहीं कर सकते इंकार
भगवान भोले नाथ का मंदिर पहाड़ की एक गुफा में स्थित है। जिसके ठीक ऊपर पानी के तेज बहाव के चलते पहाड़ दो अलग-अलग टुकड़ों में बंट गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्रत्येक टुकड़े के बीच 10 से 15 फीट का गेप हो चुका है। यहां स्थिति ये है कि भीड़ बढ़ने से पहाड़ के धंसकने की पूरी संभावना महसूस की जा रही है।
ऐसे में बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। लिहाजा अब अधिकारियों और टेक्नीशियनों की टीम मौके पर भेजी जाएगी जो पहाड़ी दरारों का बारीकी से अध्ययन कर यह तय करेगी कि श्रद्धालुओं का आना-जाना यहां किस तरह के खतरे को जन्म दे सकता है।