Minimum Wage Increase MP: मध्यप्रदेश में उच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों और श्रमिकों के न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की दरों पर लगे स्थगन (स्टे) को समाप्त कर दिए जाने के बाद न्यूनतम वेतन बढ़ाने का मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा है। विभिन्न संगठनों द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार न्यूनतम वेतन बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही ऐसा न किए जाने पर विभिन्न वैधानिक कार्रवाइयों की चेतावनी भी दी जा रही है।
इसी कड़ी में सीटू यूनियन के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और आंगनवाड़ी सहायिका एकता यूनियन सीटू के संरक्षक कामरेड कुन्दन राजपाल ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ, इंदौर द्वारा 3 दिसंबर 2024 को न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की दरों पर लगे स्थगन को समाप्त कर दिया गया था। इसके बावजूद एक माह से अधिक समय बीतने पर भी भाजपा सरकार ने न्यूनतम वेतन का आदेश जारी नहीं किया है।
कामरेड कुन्दन राजपाल ने बताया कि प्रदेश के 25 लाख से अधिक श्रमिक, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी और आउटसोर्सिंग कर्मी न्यूनतम वेतन से वंचित हैं। यह स्थिति तब है जब लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद श्रमिकों को न्यायालय से राहत मिली थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जानबूझकर कारखाना मालिकों और पूंजीपतियों से मिलीभगत कर श्रमिकों के अधिकारों पर कुठाराघात किया।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में कामरेड कुन्दन राजपाल ने कहा कि 24 मई 2024 को उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लाकर मजदूरों से जबरन बढ़ा हुआ वेतन वसूल किया गया था। यह आदेश महज 13 दिनों में लागू हो गया था, लेकिन न्यायालय का श्रमिकों के हित में आया निर्णय अभी तक लंबित है। उन्होंने श्रम विभाग के प्रमुख सचिव और श्रमायुक्त पर भी सवाल उठाए, जिन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश को अब तक लागू नहीं किया।
कामरेड राजपाल ने कहा कि सीटू यूनियन ने इस मामले में उच्च न्यायालय की अवमानना का मामला दायर करने का निर्णय लिया है। साथ ही प्रदेश स्तर पर श्रमिकों और कर्मचारियों के संगठनों को एकजुट कर आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई गई है। सीटू प्रदेश अध्यक्ष कामरेड रामविलास गोस्वामी और महासचिव कामरेड प्रमोद प्रधान ने कहा कि सरकार की यह कार्यवाही श्रमिक विरोधी और पूंजीपतियों के पक्ष में है। यह श्रमिकों के अधिकारों के प्रति भाजपा सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
कामरेड कुन्दन राजपाल ने श्रमिकों, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों, आंगनवाड़ी कर्मियों और आशा-उषा कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे केवल उन्हीं संगठनों से जुड़ें, जो उनके अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विज्ञप्ति में सीटू जिला संयोजक कामरेड डी.के. दत्ता, कामरेड जगदीश डिगरसे, एम.आर. यूनियन अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर, सचिव पंकज साहू, आंगनवाड़ी एकता यूनियन की जिलाध्यक्ष सुनीता राजपाल, महासचिव पुष्पा वाईकर, और ऑटो चालक यूनियन के जिला अध्यक्ष मनोहर आठणकर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।