Tourist Places MP: मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में स्थित दक्षिण और पश्चिम वन मंडल के जंगलों में जल्द ही प्रदेश का पहला ताप्ती कंजर्वेशन आकार लेने जा रहा है। इन दोनों वन मंडलों की ताप्ती, तावड़ी और चिचोली रेंज के जंगलों में कुल 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इसका विस्तार किया जाना है। कंजर्वेशन को लेकर सीसीएफ वासु कनोजिया, दक्षिण वन मंडल अधिकारी विजयानंतम टीआर और पश्चिम वन मंडल अधिकारी वरुण यादव ने राजधानी में आयोजित बैठक के बाद इस प्रोजेक्ट पर युद्ध स्तर पर अमल शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि यह क्षेत्र सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व से जुड़ा टाइगर रिजर्व है। ताप्ती नदी के साथ-साथ यह इलाका प्राकृतिक रूप से काफी खूबसूरती भी लिए हुए है। यही वजह है कि वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर इसका चयन किया है और इसका नाम भी ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व रखा गया है। पिछले बुधवार को राजधानी भोपाल में ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व के गठन को लेकर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन की मौजूदगी में बैठक ली गई थी। बैठक में सीसीएफ वासु कनोजिया, डीएफओ पश्चिम वरुण यादव, दक्षिण डीएफओ विजयनंतम टीआर शामिल हुए थे।
पहले 84 वर्ग किमी की थी प्लानिंग
अफसरों ने कंजर्वेशन रिजर्व के लिए कुल 84 वर्ग किलोमीटर का प्रस्ताव रखा था, किंतु चर्चा के बाद प्रस्ताव 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फाइनल किया गया है। कंजर्वेशन का क्षेत्रफल 200 वर्ग किलोमीटर तक रखा जा सकता है। दक्षिण वन मण्डल की ताप्ती रेंज और पश्चिम वन मण्डल की चिचोली व तावड़ी रेंज के संरक्षित जंगलों को मिलाकर इसका गठन किया जाना तय किया है। इन रेंजों में एक भी राजस्व या वन ग्राम प्रभावित नहीं हो रहे हैं।
पंद्रह दिनों में मांगा गया है प्रस्ताव
अधिकारियों के मुताबिक ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व के लिए नया प्रस्ताव तैयार करने के लिए तीनों वन मंडल अधिकारियों को 15 दिन का समय दिया गया है। इस अवधि में इन अधिकारियों को ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कंजर्वेशन रिजर्व के उद्देश्य, इसके गठन और नियम, फायदों पर चर्चा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। हालांकि अफसरों का दावा है कि 15 दिवस के पूर्व ही रिपोर्ट उच्च अधिकारियो को भेज दी जाएगी।
इन वन्य प्राणियों का होगा संरक्षण
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वृत के जंगलों का एक बड़ा हिस्सा सतपुड़ा टाइगर और मेलघाट टाइगर रिजर्व के बीच से होकर गुजरता है। चूंकि इस इलाके में दुर्लभ प्रजाति के उल्लू जैसा दिखने वाला सुंदर पक्षी आउलेट बहुतायत में पाया जाता है। साथ ही जंगली भैंसा, बायसन की संख्या भी अच्छी खासी है। इनके सहित अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए कंजर्वेशन रिजर्व काफी फायदेमंद साबित होगा।
खास बात यह भी है कि इसी जंगल के बीच सास-बहू नदी और ताप्ती नदी का भी संगम होता है। इस कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से काफी खूबसूरत भी है। यही वजह है कि रिजर्व कंजर्वेशन बनाये जाने के लिए इन इलाकों का चयन किया गया है।
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आजीविका पर नहीं पड़ेगा कोई असर
ग्रामीणों को कंजर्वेशन रिजर्व की वजह से जरा भी तकलीफों का सामना नहीं करना पड़ेगा। कंजर्वेशन रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण के सभी नियम लागू होंगे, लेकिन सेंचुरी या टाइगर रिजर्व की तरह आदिवासियों की आजीविका से जुड़ा कोई प्रतिबंध यहां लागू नहीं होगा। स्थानीय लोग तेंदूपत्ता, चिरौंजी, महुआ चुनने का काम बेरोकटोक कर सकेंगे, पेड़ों से लकड़ी काटना तो प्रतिबंधित रहेगा ही, लेकिन जमीन पर पड़ी हुई सुखी लकड़ी उठाने पर प्रतिबंध नहीं होगा।
मछली पकड़ने का अधिकार भी मिलेगा
स्थानीय समिति की सहमति से जंगल की नदी-तालाबों में मछली पकड़ने का अधिकार भी आदिवासियों को दिया जा सकेगा। नजदीकी ग्रामीण इलाकों में होम स्टे, जंगल सफारी, फारेस्ट रिसोर्ट भी बनाये जा सकते हैं जिससे विभाग को राजस्व की आय भी हो सकेगी, लेकिन विभागीय अधिकारियों का अभी पूरा फोकस कंजर्वेशन रिजर्व को अमली जामा पहनाने की तरफ है।
कार्यशाला आयोजित कर दी जानकारी

दक्षिण और पश्चिम बैतूल वन मंडल में ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनाने के लिए निरीक्षण कुटी महुपानी में शनिवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि विधायक भैंसदेही महेंद्र सिंह चौहान मौजूद रहे। वहीं तीनों परिक्षेत्र ताप्ती, चिचोली, तावड़ी अंतर्गत आने वाले गांवों से लगभग 180 स्थानीय ग्रामीण कार्यशाला में सम्मिलित रहे। कार्यशाला की अध्यक्षता मुख्य वन संरक्षक सुश्री बासु कनौजिया द्वारा की गई। कार्यशाला का आयोजन डीएफओ दक्षिण विजयानन्तम टीआर द्वारा किया गया।
ग्रामीणों के यथावत रहेंगे सभी अधिकार
डीएफओ विजयानन्तम टी.आर. द्वारा अपने संबोधन में कहा कि ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनने पर भी स्थानीय ग्रामीण समुदायों के सभी अधिकार जैसे जंगल से महुंआ बीनना, तेंदूपत्ता संग्रहण, जलाऊ लकड़ी उपयोग के लिए लाना, काष्ठ लाभांश सभी यथावत रहेंगे। उसके साथ-साथ ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनने से क्षेत्र में इको पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय ग्रामीण समुदायों को रोजगार और विकास के लिए मौका मिलेगा।
केवल जंगल का क्षेत्र ही होगा शामिल
मुख्य वन संरक्षक सुश्री कनौजिया ने कहा कि ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व में केवल जंगल क्षेत्र ही शामिल होगा। कोई भी गांव ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व में शामिल नहीं होगा। जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने कहा कि ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनने से बाहर जाकर काम करने की जगह अपने गांव के पास ही काम करने का मौका मिलेगा।
किसी के विस्थापन की नहीं होगी जरुरत
विधायक भैंसदेही श्री चौहान द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनने से किसी का विस्थापन नहीं होगा। ये केवल जंगल क्षेत्र में किया जा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्र और ग्रामीणों के अधिकार यथावत रहेंगे। ताप्ती कंजर्वेशन रिजर्व बनने से हमारे जंगल घूमने के लिए टूरिस्ट आयेंगे और गांव के लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे। स्थानीय ग्रामीण समुदायों को टूरिस्ट गाइड, सफारी ड्राइवर, होम स्टे, ढाबा खोलना और अपने आदिवासी संस्कृति को दिखाने का मौका मिलेगा।