Ukatha Rog Se Bachav: चना और मसूर में उकठा रोग का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिकों ने बताया- इस तरह करें फसल का बचाव

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Ukatha Rog Se Bachav: इस समय चना व मसूर की फसल में कुछ क्षेत्रों में उकठा रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसमें कहीं-कहीं चना और मसूर के पौधे सूख रहे हैं। इस रोग का प्रकोप चने की फसल में फूल बनने से पहले, फूल व पलपट की अवस्था में एवं फसल पकने से कुछ दिन पूर्व होता है। इस रोग के लक्षण यह है कि खेत में कई जगह-जगह चकत्ते (टापू) दिखाई देते हैं। पूर्ण विकसित रोगी पौधे की पत्तियां तथा शाखाएं मुरझा कर लटक जाती हैं और आखिर में पौधा पीला होकर सूख जाता है। रोगी पौधे की जड़ सूख जाती है, लेकिन चीरने पर लम्बाई में भूरी या काली पट्टी दिखाई देती है।

इस रोग पर नियंत्रण के बारे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवायजरी जारी की है ताकि वे अपनी फसलों का बचाव कर सकें और उन्हें ज्यादा नुकसान न उठाना पड़ें। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रोग से बचाव के लिए कुछ कदम बुआई से पूर्व भी उठाने पड़ते हैं। इसके अलावा खड़ी फसल में भी कुछ आवश्यक कदम उठा कर फसल को बचाया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि बुवाई पूर्व नियंत्रण के लिए मई-जून में ग्रीष्मकालीन जुताई अवश्य करें। ऐसा करने से भूमि में उपस्थित कवक के जीवाणु तेज धूप के सीधे सम्पर्क में आकर नष्ट हो जाते हैं। जहां तक सम्भव हो, चने की बुवाई अक्टूबर के अंत में या नवम्बर के प्रथम सप्ताह में करें। बुवाई से पहले खेत तैयार करते समय खेत में 5 टन प्रति हैक्टेयर की दर से अच्छा सड़ा हुआ गोबर का खाद डालें। बुवाई के पूर्व नीम की दरी हुई निंबोली या नीम की खली 20-25 किग्रा प्रति एकड़ की दर से लगातार 4-5 वर्षों तक खेत में डालें।

बुवाई से पूर्व चने के बीज को ट्राइकोडर्मा विरिडि 5 ग्राम प्रति किलो बीज या ट्राइकोडर्मा विरिडि 4 ग्राम+1 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत या पायरावलोस्ट्रोविन 1.5 ग्राम से उपचार कर बुवाई करें। दीर्घकालीन फसल चक्र (3 वर्ष) तक चना न लगाएं। उक्ठा निरोधी प्रजातियां आरवीजी-202, आरवीजी-203, आरवीजी-204, जेजी-36, जेजी-52, जेजी-24 आदि किस्मों का चयन करें।

इसके अलावा चना व मसूर की खड़ी फसल में इस रोग से बचाव के लिए जैविक-रासायनिक नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडि 1 से 2 किग्रा को 15 से 20 किग्रा सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर बुरकें। रासायनिक नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजिम 50% या थायोफिनेट मिथाइल 70% मात्रा 750 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें।

मसूर में माहू नियंत्रण के लिए मसूर की फसल में एफिड, जैसिड व थ्रिप्स के जैविक नियंत्रण के लिए ब्यूबेरिया वैसियाना या वर्टिसीलियम लेकेनी मात्रा 4 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। रासायनिक कीटनाशक फिप्रोनिल इमिडाक्लोप्रिड मात्रा 250 ग्राम या एसीटामिप्रिड 20% एसपी या थायोमिथाक्जाम 25% डब्ल्यूजी मात्रा 150 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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