JCB Viral News: जिसे दुनिया जानती है जेसीबी के नाम से वह मशीन का है ही नहीं नाम, सच जानकर हो जाएंगे हैरान

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JCB Viral News: तोड़फोड़ और खुदाई करने वाली पीले रंग की मशीन को दुनिया भर में जेसीबी (JCB) नाम से जाना जाता है। वैसे तो इसे बुलडोजर, पीला पंजा और अन्य कई नामों से जाना जाता है, लेकिन माना यह जाता है कि इसका आधिकारिक नाम जेसीबी ही है। यहां तक कि इन मशीनों पर भी जेसीबी ही लिखा है, लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि यह नाम इस क्या किसी भी यंत्र या मशीन का नहीं है।

आपको बता दें कि जेसीबी नाम इस मशीन का नहीं है बल्कि यह नाम है इस मशीन को बनाने या इसके निर्माण की शुरूआत करने वाले इंजीनियर और उद्योगपति का है। जेसीबी का फुलफॉर्म जोसेफ सिरिल बामफोर्ड (Joseph Cyril Bamford) है। यह नाम दरअसल, जेसीबी के संस्थापक का है। उन्होंने इस कंपनी की शुरूआत 1945 में इंग्लैंड के स्टैफोर्डशायर में की थी। हालांकि अब यही नाम इस मशीन की अब पहचान बन गया है। इस मशीन का उपयोग निर्माण, कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में खुदाई आदि के लिए किया जाता है।

कैसे बनी पहली जेसीबी मशीन

बताते हैं कि जोसेफ ने पहली मशीन एक पुराने ट्रेलर से बनाई थी। उन्होंने उस ट्रेलरा को मॉडिफाई किया और इसे कृषि कार्यों के लिए उपयोगी बनाया। इसके बाद यह मशीन किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई। वहीं बाद में इसकी क्षमता को देखते हुए अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से उपयोग किया जाने लगा।

पहले यह दिया गया था नाम

जोसेफ ने सबसे पहले 1953 में अपनी मशीनों को Backhoe Loader के रूप में प्रस्तुत किया। इसके साथ ही जेसीबी ब्रांड का लोगों और पहचान बनाई गई। वहीं 1953 में ही पहली बार JCB शब्द का उपयोग कंपनी के उत्पादों पर किया गया। 1950 और 1060 के दशक में जेसीबी ने न केवल इंग्लैंड बल्कि पूरी दुनिया में पहचान बनानी शुरू कर दी। इसके बाद इस मशीनों में कई बदलाव किए गए जिससे निर्माण और कृषि क्षेत्र में क्रांति आ गई।

भारत में कब आई जेसीबी

भारत में जेसीबी ने वर्ष 1979 में प्रवेश किया था। यहां 1980 के दशक में भारत में पहली फैक्ट्री स्थापित की गई थी। उसके बाद से जेसीबी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। यहां यह मशीनें बेहद लोकप्रिय हैं। सड़क निर्माण, कृषि, अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ ही ढांचों के तोड़फोड़ में ही भी इनका उपयोग होता है।

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Uttam Malviya

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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