MP Education News: नया शिक्षण सत्र चालू होते ही निजी स्कूलों की मनमानी की चर्चा हर तरफ शुरू हो जाती है। किसी स्कूल द्वारा किसी खास दुकान से ही किताब-कॉपी और यूनिफॉर्म खरीदने का फरमान जारी कर दिया जाता है तो किसी स्कूल द्वारा फीस में खासा इजाफा कर दिया जाता है। इन मनमानियों पर अंकुश लगाने के लिए मध्यप्रदेश में स्कूल का नया सत्र शुरू होने के पहले ही स्कूलों की हिदायत देना शुरू कर दिया गया है।
इसके लिए मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में कलेक्टरों द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत स्कूल प्रबंधनों को आदेश जारी किए जा रहे हैं। इनमें स्कूल प्रबंधनों को स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही किए जाने की चेतावनी भी इस आदेश में दी जा रही है।
इसी कड़ी में भोपाल कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने भी निजी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि भोपाल जिले में शासकीय, अशासकीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें अशासकीय स्कूलों/शैक्षणिक संस्थाओं में काफी बड़ी संख्या में विधार्थी अध्ययनरत हैं। विभिन्न सूत्रों से जानकारी प्राप्त होती है, कि शिक्षण सत्र प्रारंभ होने पर कई अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन द्वारा शाला में पढ़ने वाले विधार्थियो को उनके द्वारा बताई गई विशेष दुकान से ही पाठ्य-पुस्तकें, यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री क्रय करने के लिये बाध्य किया जाता है तथा कई स्कूलों में स्वयं स्कूल प्रबंधन द्वारा पुस्तकें एवं यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जानें के संबंध में भी जानकारी प्राप्त होती हैं।
मैं संतुष्ट हूँ कि इस तरह की गतिविधियों के कारण इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों एवं उनके अभिभावकों में रोष होने के फलस्वरूप अप्रिय स्थिति एवं तनाव हो सकता है, जिससे कभी भी कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अत: भोपाल जिले के समस्त अशासकीय विद्यालयों/शैक्षणिक संस्थाओं में पुस्तकें एवं यूनिफॉर्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जाने तथा किसी विशेष दुकान से पाठ्य पुस्तकंे, यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री कय करने हेतु बाध्य करने पर अंकुश लगाये जाने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं।
अत: मैं कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, भोपाल दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए जन सामान्य के हित में समस्त अशासकीय विद्यालयों में पुस्तकें एवं यूनीफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जाने पर अंकुश लगाये जाने के संबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करता हूँ-
1- भोपाल जिले में संचालित समस्त अशासकीय विद्यालय, जो माध्यमिक शिक्षा मण्डल / केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अथवा आईसीएसई बोर्ड से सम्बद्ध है, इन समस्त विद्यालयों को मध्य प्रदेश राजपत्र असाधारण दिनांक 02 दिसम्बर 2020 स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल में उल्लेखित निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य होगा। सभी अशासकीय विद्यालयों के लिये यह अनिवार्य है कि वे आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पूर्व लेखक एवं प्रकाशक के नाम तथा मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची विद्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करें और शाला के विद्यार्थियों को ऐसी सूची मांगने पर उपलब्ध कराई जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण इन पुस्तकों को उनकी सुविधा अनुसार खुले बाजार से क्रय कर सके। प्रत्येक स्कूल प्रबंधक/प्राचार्य अपने स्कूल में प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठ्य पुस्तकों तथा प्रकाशक की जानकारी को वेबसाइट E-Mail ID deobho-mp@nic.in पर दिनांक 15.01.2025 तक अनिवार्यत: प्रेषित करेंगें एवं एक हार्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी जिला भोपाल के कार्यालय में जमा करायेंगे।
2- किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नही होना चाहिये। विद्यालय के सूचना पटल पर यह भी अंकित किया जावे कि किसी दुकान विशेष से सामग्री क्रय करने की बाध्यता नहीं है। कहीं से भी पुस्तकें/यूनिफॉर्म व अन्य आवश्यक सामग्री क्रय की जा सकती है।
3- पुस्तकों के अतिरिक्त शालाओं द्वारा यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपियां आदि भी उन्हीं की शालाओं से उपलब्ध/विक्रय कराने का प्रयास नहीं किया जावेगा। विद्यालय के गणवेश में कोई परिवर्तन किया जाता है तो वह आगामी तीन शैक्षणिक सत्रों तक यथावत लागू रहेगा। विद्यालय की स्टेशनरी/यूनिफॉर्म पर विद्यालय का नाम प्रिन्ट करवाकर दुकानों से क्रय करने अथवा एक विशिष्ट दुकान से यूनिफॉर्म/पाठ्यपुस्तकें बेचना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा।
4- विद्यालय द्वारा उनके यहां संचालित कक्षाओं में पढाई जाने वाली पुस्तकें, बिना पाठ्यकम परिवर्तन हुये विगत वर्ष की प्रचलित पुस्तकों एवं प्रकाशकों को परिवर्तित कर प्रतिवर्ष उनके स्थान पर मंहगी पुस्तकें खरीदने के लिए पालकों पर दबाव बनाया जाता है।
5- निजी विद्यालय प्रबंधन, परिवहन सुविधाओं के संबंध में परिवहन विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा समय समय पर जारी दिशा निर्देशों का पालन करेगा।
6- प्रत्येक विद्यालय में कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया एवं प्रवेश किस दिनांक से दिनांक तक होगें की सूचना का प्रचार प्रसार करना अनविार्य होगा। जिससे पालकों एवं प्रवेश कराने वाले पालकों तक सूचना प्राप्त हो सकें।
7- संबंधित क्षेत्र के एसडीएम एवं जिला शिक्षा अधिकारी इस आदेश का पालन सुनिश्चित करायेंगे।
यह आदेश आम जनता को संबोधित है चूंकि वर्तमान में मेरे समक्ष ऐसी परिस्थितियां नही है और न ही यह संभव है कि इस आदेश की पूर्व सूचना प्रत्येक व्यक्ति/प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को दी जावें। अत: यह आदेश एक पक्षीय पारित किया जाता है। आदेश से व्यथित व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (5) के अंतर्गत अद्योहस्ताक्षरकर्ता के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा, अत्यंत विशेष परिस्थितियों में अद्योहस्ताक्षरकर्ता के संतुष्ट होने पर आवेदक को किसी भी लागू शर्त सें छूट दी जा सकेगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति/विद्यालय के प्राचार्य/प्रबंधक के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जावेगी।