Minimum wage in MP : मध्यप्रदेश के मजदूर वर्ग के लिए राहत की खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने न्यूनतम वेतन पर लगाए गए स्टे को खारिज कर दिया है। इस फैसले से मजदूरों को प्रति माह 1800 से 2400 रुपये तक की वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इसमें विभिन्न कारखानों और सरकारी क्षेत्र में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी शामिल हैं।
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी और महासचिव प्रमोद प्रधान ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए सरकार और श्रम आयुक्त से मांग की है कि 1 अप्रैल 2024 से श्रमिकों का एरियर सहित भुगतान सुनिश्चित किया जाए। सीटू ने मजदूरों के अधिकार के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। 10 साल बाद वेतन पुनरीक्षण समिति की सिफारिशों के आधार पर अप्रैल 2019 की जगह अप्रैल 2024 से न्यूनतम वेतन लागू करने की घोषणा हुई थी। लेकिन, कुछ कारखाना मालिकों ने इसका विरोध करते हुए हाई कोर्ट में स्टे ले लिया था।
सीटू ने इसके खिलाफ पूरे प्रदेश में जिलाधीश और श्रम विभाग के कार्यालयों पर प्रदर्शन किए और इंदौर हाई कोर्ट में मजदूरों की ओर से पक्ष रखा। सीटू के अधिवक्ता बाबूलाल नागर ने हाई कोर्ट में मजदूरों का मजबूत पक्ष रखते हुए न्यूनतम वेतन की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके बाद न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्टे को खारिज करते हुए मजदूरों के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले से मजदूरों को प्रति माह 1800 से 2400 रुपये तक की वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इसमें विभिन्न कारखानों और सरकारी क्षेत्र में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी शामिल हैं।
सीटू के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कुंदन राजपाल, एमआर यूनियन सीटू के नेता पंकज साहू, कोयलांचल पाथाखेड़ा के सीटू नेता जगदीश डिगरसे, कामेश्वर राय, अशोक बुंदेला, ऑटो यूनियन के अध्यक्ष मनोहर आठनकर, महासचिव शेख वकील खान, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन सीटू की जिला अध्यक्ष सुनीता राजपाल और महासचिव पुष्पा वाईकर ने इस निर्णय का स्वागत किया। सीटू नेताओं ने इसे मजदूरों और सरकारी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की बड़ी जीत बताया। उन्होंने आम मजदूरों और कर्मचारियों से एकता बनाए रखने की अपील की है। उनका कहना है कि यह संघर्ष सभी के लिए प्रेरणा है और इस लड़ाई से यह साबित होता है कि एकजुटता से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।